3500 करोड़ का शराब घोटाला: क्या पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी हर महीने लेते थे 60 करोड़ की रिश्वत

हैदराबाद । आंध्र प्रदेश में हुए 35 सौ करोड़ के शराब घोटाले को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरु हो गई है। वजह ये है कि इस भारी भरकम घोटाले को लेकर स्थानीय अदालत में एक आरोप पत्र दाखिल किया गया है। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नाम का उल्लेख रिश्वत लेने वाले के तौर पर है। चार्जशीट के अनुसार, उन्हें हर महीने औसतन 50 से 60 करोड़ रुपये तक की रिश्वत मिली।

आरोपपत्र में कहा गया कि 3,500 करोड़ रुपये के पूरे शराब घोटाले के मास्टरमाइंड और सह-षड्यंत्रकारी राजशेखर रेड्डी हैं। उन्होंने आबकारी नीति में हेरफेर को प्रभावित करने के अलावा स्वचालित ओएफएस (आपूर्ति के लिए आदेश) को मैनुअल प्रक्रिया से बदलने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा, उन्होंने एपीएसबीसीएल (आंध्र प्रदेश राज्य पेय पदार्थ निगम लिमिटेड) में अपने वफादार कर्मचारियों को नियुक्त करवाया। उन्होंने कथित तौर पर फर्जी शराब बनाने वाली भट्ठियां बनाईं और एक अन्य आरोपी बालाजी गोविंदप्पा के जरिए जगन को रिश्वत दी। राजशेखर रेड्डी ने आरोपी चेविरेड्डी भास्कर रेड्डी के साथ मिलकर वाईएसआरसीपी पार्टी की ओर से चुनावों के लिए 250-300 करोड़ रुपये तक की नकदी भेजी और 30 से अधिक फर्जी फर्मों के माध्यम से धन शोधन भी किया। यह राशि दुबई और अफ्रीका में जमीन, सोना, विलासिता की वस्तुएं खरीदने में निवेश की गई। हालांकि, शनिवार को दायर 305 पृष्ठों के आरोपपत्र में जगन का नाम आरोपी के तौर पर नहीं है।

अदालत ने अभी तक आरोपपत्र पर संज्ञान नहीं लिया है। जगन ने एक्स पर एक पोस्ट में शराब घोटाले को मनगढ़ंत कहानी बताई। उन्होंने कहा कि इसे विशुद्ध रूप से मीडिया में तमाशा दिखाने और वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए तैयार किया गया है।

युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी के प्रमुख के अनुसार, पूरा मामला दबाव, धमकी, थर्ड डिग्री टॉर्चर, रिश्वत और प्रलोभन के माध्यम से लिए गए बयानों पर आधारित है। पुलिस की ओर से दायर आरोपपत्र के मुताबिक, एकत्रित राशि अंततः केसिरेड्डी राजशेखर रेड्डी (ए-1) को सौंप दी गई। इसके बाद राजशेखर रेड्डी ने यह राशि विजय साई रेड्डी (ए-5), मिथुन रेड्डी (ए-4) और बालाजी (ए-33) को सौंप दी, जिन्होंने इसे पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी को ट्रांसफर कर दिया। औसतन हर महीने 50-60 करोड़ रुपये की वसूली होती थी। पुलिस ने आरोप लगाया कि मुख्य आरोपी ने पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान शराब की आपूर्ति और बिक्री पर पूर्ण नियंत्रण रखने के इरादे से नई शराब नीति को लागू कराया था। आरोपपत्र में कहा गया, आरोपियों ने आबकारी नीति और इसके तौर-तरीकों में बदलाव की साजिश रची ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें बड़ी रिश्वत मिले। इस तरह की रिश्वत का अधिकांश हिस्सा नकद, सोने के बिस्कुट आदि के रूप में प्राप्त हुआ।

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