अमरोहा : वन विभाग की मिलीभगत से कट रहे हरे-भरे आम के बाग

अमरोहा, हासनपुर। कोतवाली क्षेत्र में लकड़ी माफियाओं का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि सरकार के कड़े नियमों और पर्यावरण संरक्षण के दावों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। रात के अंधेरे में बेखौफ होकर आम के हरे-भरे पेड़ों का अवैध कटान जारी है।

चौंकाने वाली बात यह है कि यह सब स्थानीय प्रशासन और वन विभाग की कथित मिलीभगत से चल रहा है। यदि यही हाल रहा तो हसनपुर के आम के बाग केवल किताबों में ही देखने को मिलेंगे।

जानकारी के अनुसार, कोतवाली क्षेत्र के गांव चकोरी मार्ग पर महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज के ठीक पास, लकड़ी माफियाओं ने धड़ल्ले से आम के एक दर्जन हरे-भरे पेड़ों को काट डाला। इन पेड़ों का अस्तित्व इस तरह मिटा दिया गया, मानो वे कभी थे ही नहीं। यह कोई इक्का-दुक्का घटना नहीं है, बल्कि हसनपुर क्षेत्र में आम के पेड़ों का अवैध कटान रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है।

सवाल यह है कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों का कटान बिना किसी की जानकारी के कैसे संभव है? ग्रामीण दबी जुबान में बताते हैं कि यह सब स्थानीय अधिकारियों की शह पर हो रहा है। माफिया रातोंरात कटर चलाकर पेड़ों को साफ कर देते हैं, ताकि सुबह होते-होते कोई सबूत बाकी न रहे। यह सिर्फ पेड़ों का कटान नहीं, बल्कि हसनपुर की हरियाली और पर्यावरणीय संतुलन पर सीधा हमला है।

वन विभाग, हमेशा की तरह, घटना की सूचना मिलने पर सुबह मौके पर पहुंच गया। वन क्षेत्राधिकारी नरेश कुमार ने रटा-रटाया बयान देते हुए कहा कि आम के पेड़ काटने वालों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। लेकिन सवाल यह है कि यह ‘तैयारी’ कब पूरी होगी? और क्या इस ‘विभागीय कार्रवाई’ से पहले ही हसनपुर के सारे आम के बाग खत्म नहीं हो जाएंगे?

हसनपुर का प्रशासन और वन विभाग इस गंभीर मुद्दे पर क्यों आंखें मूंदे बैठा है? क्या उन्हें इन अवैध गतिविधियों की जानकारी नहीं है, या जानबूझकर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं? जब आम जनता को रात में पेड़ों के कटने की आवाजें सुनाई देती हैं, तो क्या इन जिम्मेदार विभागों के कानों तक यह शोर नहीं पहुंचता?

अगर यही लापरवाही और मिलीभगत जारी रही, तो वह दिन दूर नहीं जब हसनपुर का नाम सिर्फ ‘आमों के शहर’ के रूप में किताबों में दर्ज होगा, और यहां की धरती पर बंजर और वीरान मैदान ही नजर आएंगे। यह प्रशासन की कर्तव्यनिष्ठा पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न है, जिसका जवाब हसनपुर की जनता मांग रही है।

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