
-तत्काल सुनवाई से किया इंकार
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर दायर याचिका की तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। यह मामला उस वक्त चर्चा में आया जब एक वकील ने सुनवाई के दौरान जज वर्मा को नाम से संबोधित किया, जिस पर चीफ जस्टिस बी आर गवई ने नाराजगी जताई।
चीफ जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने वकील मैथ्यूज नेदुमपारा को टोका और कहा, कि क्या वो आपके मित्र हैं? वे आज भी ‘जस्टिस वर्मा’ हैं। कृपया मर्यादा रखें। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका को उचित समय पर सूचीबद्ध किया जाएगा, लेकिन तत्काल सुनवाई नहीं होगी। इस मामले में वकील ने दलील दी कि मामला गंभीर है और इसमें एफआईआर होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मुझे नहीं लगता कि उनमें कोई महानता है..। इस पर कोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा, कृपया कोर्ट को आदेश न दें।
यह मामला जस्टिस वर्मा के आवास पर आग लगने के समय नकदी जलने और बरामद होने से जुड़ा हुआ है। तीन जजों की जांच समिति, जिसकी अध्यक्षता पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू ने की, ने 55 गवाहों से पूछताछ के बाद रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट में कहा गया कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार का उस कमरे पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नियंत्रण था, जहां नकदी पाई गई।
पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी। जस्टिस वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस रिपोर्ट को रद्द करने की मांग की है।
फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए वकील से संयम और सम्मानपूर्ण भाषा का पालन करने की सलाह दी है।