जन संस्कृति मंच : कौशल किशोर बोले…अजय कुमार का जीवन एक सांस्कृतिक योद्धा का

  • स्वाधीनता आंदोलन की परंपरा के वारिस हैं अजय कुमार : वीरेंद्र यादव

लखनऊ । जन संस्कृति मंच (जसम) की ओर से वरिष्ठ साहित्यकार व संस्कृतिकर्मी अजय कुमार की स्मृति में आज इप्टा दफ़्तर, क़ैसरबाग में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। अजय कुमार ने अपने जौनपुर निवास पर बीते 10 जुलाई को अंतिम सांस ली। वे जसम से उसके स्थापना काल से जुड़े रहे हैं।

जसम के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व कवि कौशल किशोर ने उन्हें याद करते हुए कहा कि जौनपुर उनमें इस क़दर रचा-बसा, घुला-मिला था कि उन्हें ‘जौनपुर’ का रसूल हमजातोव कहा जाता था। अनेक विधाओं में लिखा। विश्व साहित्य को अनुवाद के द्वारा हिन्दी के पाठकों तक पहुंचाया। विश्व सिनेमा पर भी लिखा। लेकिन प्रचार से दूर रहे। यही कारण है कि छ दशक की साहित्य यात्रा के दौरान एक कविता संग्रह ‘नया बीजक’ प्रकाशित हो पाया। वे जितने हिन्दी के थे, उतने ही उर्दू के। उनका जीवन एक सांस्कृतिक योद्धा का रहा है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक वीरेंद्र यादव ने की। उन्होंने कहा कि अजय कुमार स्वाधीनता आंदोलन की परंपरा के वारिस रहे हैं। उनका व्यक्तित्व सहज, सादगी से भरा मानवीयता से भरा रहा है। वे परिवर्तन के पक्षधर रहे हैं। सेकुलर विचारों के लिए अपने को समर्पित कर दिया।

इस मौके पर इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष राकेश, अवधेश कुमार सिंह, प्रलेस के शकील सिद्दीकी, शैलेश पंडित, विमल किशोर, धर्मेंद्र कुमार, आदियोग, अशोक मिश्र, आज़ाद शेखर, वीरेंद्र त्रिपाठी आदि ने भी अजय कुमार को अपना श्रद्धा सुमन अर्पित किया तथा उनके साथ की यादों को साझा किया।

वक्ताओं का कहना था कि वे यारबाज थे। कला, सिनेमा, संगीत के रसिक थे। लखनऊ के आर्ट्स कॉलेज में आर्टिस्ट रेजिडेंसी में अच्छा समय बिताया। लखनऊ उनका दूसरा घर था। वामिक जौनपुरी के सोहबत से उन्होंने बहुत कुछ सीखा था। वामिक साहब की ‘भूका बंगाल’, ‘मीना बाजार’ जैसी अनेक रचनाओं को हिंदी साहित्य समाज तक पहुंचाने का काम किया।

इस श्रद्धांजलि सभा में सुचित माथुर ने उनकी 1985 में लिखी कविता सुनाई जो सांप्रदायिक व विभाजनकारी संस्कृति को व्यक्त करती है। इसमें वे कहते हैं :कौन बांटता है मुझको /कौन मुझे खुद से लड़वाता है /किसकी सुख-संपत्ति की खातिर /देश टूट जाता है, /वही दुश्मन बन जाता है /जिससे युग-युग से भाई का नाता है/ ..वही दुश्मन बन जाता है /जो कल तक देशभक्त कहलाता है /धरती पर रहने वालों का /यह कैसा कच्चा नाता है?/
इस मिट्टी से उगकर कोई /कैसे इस मिट्टी से कट जाता है /देश बात-बात में कैसे बंट जाता है /जो इस मिट्टी में अपना खून मिलाता है /मरकर इस मिट्टी में दफनाया जाता है/फिर किसके एक इशारे पर /देश का दुश्मन बन जाता है?’ संचालन जसम लखनऊ के सचिव फरजाना महदी ने किया। शुरू में अजय कुमार के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि की गई। समापन दो मिनट के मौन से हुआ।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

DJ की आवाज से भड़का हाथी कांवड़ियों पर किया हमला वडोदरा की सड़कों पर टहला मगरमच्छ, लोगों में हड़कंप दो साल पहले 6 करोड़ का बना पुल हुआ जमींदोज जलभराव बना बच्चों की पढ़ाई में बाधा संगीता बिजलानी की बर्थडे पार्टी में पहुंचे अर्जुन