
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में साइबर ठगों ने एक रिटायर्ड असिस्टेंट इंजीनियर को निशाना बनाकर 78 लाख रुपये की ठगी की है। ठगों ने पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर 22 दिनों तक मानसिक दबाव में रखा और उनकी हर गतिविधि पर व्हाट्सएप कॉल और वीडियो कॉल के जरिए नजर रखी।
ठगी का तरीका
साइबर थाना पुलिस के अनुसार, ठगों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर पीड़ित को फोन किया और कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों के लिए किया गया है। जेल जाने का डर दिखाकर ठगों ने पीड़ित को जांच में सहयोग करने का दबाव बनाया। इस दौरान पीड़ित की हर गतिविधि की निगरानी की गई और सात बार में कुल 78.50 लाख रुपये उनके खातों में ट्रांसफर करवाए गए।
पुलिस की कार्रवाई
पीड़ित ने जब बैंक से ठगी की जानकारी प्राप्त की, तो उन्होंने साइबर थाना में शिकायत दर्ज कराई। साइबर थाना प्रभारी बृजेश यादव ने बताया कि मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और खाता नंबरों के आधार पर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी गई है। पुलिस साइबर सेल की मदद से ठगों के बैंक खातों और उनके नेटवर्क की जांच कर रही है।
साइबर ठगी का बढ़ता खतरा
लखनऊ में डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हाल ही में एक रिटायर्ड प्रोफेसर से 54 लाख और एक महिला डॉक्टर से 85 लाख रुपये की ठगी के मामले भी सामने आए हैं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे अनजान कॉल्स और लिंक्स पर भरोसा न करें और ऐसी किसी घटना की तुरंत शिकायत करें।
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