सीआरएस पोर्टल हैक कर फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने वाले साइबर गैंग के सदस्य गिरफ्तार

हरदोई। जिले की पुलिस ने साइबर फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो सीआरएस पोर्टल को हैक कर, फर्जी ईमेल और पासवर्ड से जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्रों को जारी करते थे। कूटरचित प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल आधार कार्ड बनवाने उसमे उम्र बदलवाने, झूठी उम्र बताकर सरकारी योजनाओं का लाभ लेने बीमा पेंशन क्लेम फर्जीवाड़े, मृत्यु प्रमाणपत्र के आधार पर जाली वारिस बन संपत्ति हड़पने ,फर्जी एडमिशन और सरकारी दस्तावेजों की मैनिपुलेशन जैसे कई गंभीर अवैध कामों में हो सकता है। पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जो बिहार ,लखनऊ और कुशीनगर से इस पूरे नेटवर्क को चला रहे थे। अभी पुलिस को इसमें कुछ और लोगों की तलाश है। देशभर में सरकारी सेवाओं को डिजिटल बनाए जाने के बीच अब सरकारी पोर्टल हैकिंग का नया साइबर ट्रेंड सामने आ रहा है। जिले में पुलिस को एक शिकायत मिली थी कि टड़ियावां विकास खंड में तैनात ग्राम विकास अधिकारी राजीव श्रीवास्तव की सीआरएस पोर्टल आईडी हैक कर किसी ने कई फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए हैं।

शिकायत पर टडियावां थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर पड़ताल शुरू की, जिसमें यह साइबर फर्जीवाड़े का जाल सामने आया। पुलिस के मुताबिक पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड लखनऊ निवासी अभिषेक गुप्ता है, जो सरकारी अधिकारियों की पोर्टल लॉगिन आईडी हैक या खरीदकर उन्हें अवैध रूप से अन्य साइबर सेंटरों को बेचता था। इसी को लेकर उसके संपर्क में धर्मेंद्र मद्धेशिया, जो कुशीनगर में जनसुविधा केंद्र चलाता था वो आया उसने सीआरएस पोर्टल की एक आईडी अभिषेक से10 हजार रुपए में खरीदी और फिर 200-250 रुपए प्रति प्रमाणपत्र के हिसाब से नकली जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र बनाना शुरू किया। इस पूरे काम में रूपेश कुमार, सहरसा (बिहार) निवासी, एक तकनीकी एक्सपर्ट की भूमिका में था, जो ईमेल स्पूफिंग और पासवर्ड फिशिंग करता था। आशंका है कि इन फर्जी प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल आधार कार्ड बनवाने उसकी उम्र को कम अधिक कराने ,झूठी उम्र बताकर सरकारी योजनाओं का लाभ लेने बीमा पेंशन क्लेम फर्जीवाड़े मृत्यु प्रमाणपत्र के आधार पर जाली वारिस बन संपत्ति हड़पने फर्जी एडमिशन और सरकारी दस्तावेजों की मैनिपुलेशन जैसे कई गंभीर अवैध कामों में हो सकता है।

हरदोई पुलिस की छापेमारी में आरोपियों के पास से एक एच पी कंपनी का लैपटॉप (सीआरएस पोर्टल लॉगिन कर प्रमाणपत्र बनाने में प्रयुक्त) ,चार मोबाइल फोन ,चार फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र सीआरएस पोर्टल की यूजर आईडी और पासवर्ड की छायाप्रतियां बरामद हुई है। पुलिस के मुताबिक पकड़े गए लोगो में अभिषेक गुप्ता पुत्र स्व. राजेन्द्र कुमार गुप्ता निवासी नौबस्ता, लखनऊ ,धर्मेंद्र मद्धेशिया पुत्र जगदीश मद्धेशिया निवासी इमीलिया, कुशीनगर और तीसरा रूपेश कुमार पुत्र किशन दास निवासी सहरसा, बिहार शामिल है। पुलिस के मुताबिक इसमें कुछ और लोगो की भी तलाश की जा रही है जिन्होंने अभिषेक को कुछ ऐसे मोबाईल फोन बेचे थे जिनमें सीआरएस पोर्टल की आईडी और यूजर के ईमेल लॉगिन थे उसकी गिरफ्तारी के बाद ही यह पता लगेगा की इस पूरे नेटवर्क में कौन लोग और शामिल है। अभिषेक गुप्ता पर पहले से उन्नाव साइबर क्राइम थाने में इसी तरह के कूटरचित दस्तावेज करने का एक मुकदमा दर्ज है।एसपी नीरज कुमार जादौन ने कहा अभी कुछ दिनों पूर्व टड़ियावां थाना क्षेत्र में एक एफआईआर दर्ज की गई थी जिसमे यह उल्लेख किया गया था कि किसी ने सिस्टम हैक करके फर्जी जन्म प्रमाण पत्र और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए हैं उसे संबंध में तत्काल टीम लगाई गई थी टीम ने इन्वेस्टिगेशन शुरू किया उसमें कुछ नाम प्रकाश में इनमें से पुलिस ने शुक्रवार तीन लोगों को गिरफ्तार किया है जिनके नाम अभिषेक गुप्ता जो कि लखनऊ के रहने वाले हैं धर्मेंद्र मद्धेशिया कुशीनगर के रहने वाले और रुपेश कुमार बिहार के रहने वाले इन तीनों से जब पूछताछ की गयी तो इन्होने बताया जो सीआरएस पोर्टल है उस पोर्टल पर लॉगिन करके बर्थ सर्टिफिकेट और डेथ सर्टिफिकेट बनाए जाते हैं उसकी कुछ आईडी इनको एक व्यक्ति से मिली हैं उस व्यक्ति की तलाश पुलिस द्वारा की जा रही है और उसके जरिये इन्होंने सिस्टम को मिसयूज करके इन्होंने यह बर्थ सर्टिफिकेट और डेथ सर्टिफिकेट कुशीनगर में कुछ लोगों के बनाए हैं इसमें यहां के जनपद हरदोई की लॉगिन आईडी इस्तेमाल की गई है और उसका गलत इस्तेमाल करके अभी जो भी इनफॉरमेशन में आए हैं 30 से 35 फर्जी प्रमाण पत्र बनाए हैं बाकी डीटेल्स इन के बारे में चेक की जा रही है और कुछ सिस्टम में कमी है उनके बारे में भी बताया गया है।

यह इस्तेमाल यह करते थे बेसिकली इन तीनों के पास जो जन सेवा केंद्र है जन सेवा केंद्र चलाते हैं जन सेवा केंद्र में यह किसी का प्रमाण पत्र बनाते हैं तो उसमें उनके पास जो आते थे लॉगिन आईडी यहां का इस्तेमाल करते थे क्योंकि लॉगिन आईडी कांफीडिएन्सिल होती है और इसका प्राइवेट इस्तेमाल नहीं हो सकता है इसका मिसयूज करके जो इन्होंने बताया कि अभिषेक ने लगभग 300000 रुपए में आईडी खरीदी थी। हम लोग तलाश कर रहे हैं उसके बाद उसने यह आईडी डिस्ट्रीब्यूशन की थी कई लोगों को उन लोगों ने 200 से 300 रुपए लेकर के सर्टिफिकेट बना कर देते थे सर्टिफिकेट यह बना देते थे क्योंकि कोई वेरिफिकेशन नहीं होती थी कौन कहां होता है इसके मिसयूज की प्रबल संभावना हमेशा रहती थी। बर्थ सर्टिफिकेट क्योंकि प्रॉपर बर्थ सर्टिफिकेट है इस वेबसाइट से बने हुए हैं तो यह कोई नहीं कह सकता कि गलत तरीके से बनाए गए हैं। इनका मिसयूज किसी भी अन्य आईडी प्राप्त करने में किया जा सकता है इसलिए यह संवेदनशील मैटर है इसमें आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।

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