भारत का महाविनाशक हथियार तैयार, कांप उठे चीन, तुर्की और पाकिस्तान, जानिए कब होगा सेना में शामिल !

प्रोजेक्ट विष्णु के तहत डीआरडीओ ने बनाई हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल
नई दिल्ली  । भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक खास प्रोजेक्ट के तहत हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सीक्रेट प्रोजेक्ट विष्णु के तहत डिजाइन किए मिसाइल का नाम एक्सटेंडेड ट्रेजेक्टरी लॉन्ग ड्यूरेशन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल (ईटी-एलडीएचसीएम) है। यह मिसाइल भारत के मौजूदा ब्रह्मोस, अग्नि और आकाश से काफी आधुनिक है। यह मिसाइल करीब 8 मैक यानी करीब 11,000 किलोमीटर की रफ्तार से दुश्मन पर कहर बनकर टूटती है। यह मिसाइल भारत के बेहद खुफिया प्रोजेक्ट विष्णु का हिस्सा है।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत एक नई मिसाइल बना रहा है, जिसका नाम है ईटी-एलडीएचसीएम। इसकी सबसे खास बात है इसका इंजन, इस स्क्रैमजेट कहते हैं। यह इंजन हवा से ऑक्सीजन लेता है। इससे मिसाइल हल्की रहती है और बहुत तेज गति से उड़ सकती है। पुराने इंजनों को अपने साथ ऑक्सीजन ले जाना पड़ता था, लेकिन स्क्रैमजेट इंजन हवा से ही ऑक्सीजन खींच लेता है। इसलिए मिसाइल का वजन कम हो जाता है और वह लंबे समय तक तेज रफ़्तार से उड़ान भर सकती है।

डीआरडीओ ने नवंबर 2024 में इस स्क्रैमजेट इंजन का 1,000 सेकंड तक टेस्ट किया था। इस टेस्ट से पता चला कि इंजन बहुत ज्यादा गर्मी और गति को झेल सकता है। यह मिसाइल 2,000 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सह सकती है। इतनी गर्मी तब पैदा होती है जब मिसाइल लगभग 11,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा में उड़ती है।

रॉकेट इंजन को उड़ने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है। यह ऑक्सीजन इंजन के अंदर ही मौजूद होती है। लेकिन स्क्रैमजेट इंजन हवा से ऑक्सीजन लेता है। सुपरसोनिक गति पाने के लिए हवा से ऑक्सीजन लेना जरूरी है। इसलिए स्क्रैमजेट तकनीक का इस्तेमाल करना जरूरी था। सोवियत संघ ने सबसे पहले इस तकनीक का आविष्कार किया था। उसके बाद यूएस, चीन और भारत ने भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया। इस तकनीक का इस्तेमाल रॉकेट और मिसाइलों में किया जा सकता है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस हाइपरसोनिक मिसाइल को जमीन, समंदर या हवाई जहाज से भी लांच कर सकते है। इसके बाद भारतीय सेना के सभी अंगों के लिए उपयोगी है। यह मिसाइल 2,000 किलो तक के हथियार ले जा सकती है, चाहे वे आम हथियार हों या परमाणु हथियार। यह मिसाइल कम ऊंचाई पर उड़ती है, इसलिए इसे पकड़ना और रोकना मुश्किल है।

हाइपरसोनिक मिसाइल चुपके से हमला करने, शक्तिशाली होने और कई तरह से इस्तेमाल करने के लिए बनाई गई है। बैलिस्टिक मिसाइलें एक तय रास्ते पर चलती हैं, लेकिन ईटी-एलडीएचसीएम कम ऊंचाई पर उड़ती है और उड़ान के दौरान अपना रास्ता बदल सकती है। इस पर एक खास तरह की परत चढ़ाई गई है जो इसे खारे पानी और तेज धूप जैसे खराब वातावरण में भी काम करने में मदद करती है। ईटी-एलडीएचसीएम को जमीन, हवा या समुद्र से भी लांच किया जा सकता है। यह मिसाइल दुश्मन के रडार स्टेशनों, नौसैनिक जहाजों या कमांड सेंटरों को निशाना बना सकती है।

प्रोजेक्ट विष्णु से 12 हथियार बनाए जाएंगे
डीआरडीओ का प्रोजेक्ट विष्णु हाइपरसोनिक सिस्टम पर सबसे बड़ा दांव है। हाइपरसोनिक का मतलब है आवाज की गति से 5 गुना से भी तेज। प्रोजेक्ट के तहत 12 अलग-अलग हथियार बनाए जाएंगे। इसमें हमला करने वाली मिसाइलें और दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही मार गिराने वाली इंटरसेप्टर मिसाइलें भी शामिल हैं।

2028 तक सेना में शामिल हो सकती है
ईटी-एलडीएचसीएम जैसी मिसाइलें बस शुरुआत हैं। हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल 2027 या 2028 तक सेना में शामिल हो सकते हैं। ईटी-एलडीएचसीएम का पूरी तरह से इस्तेमाल 2030 तक शुरू हो सकता है। इसका मतलब है कि 2030 तक यह मिसाइल पूरी तरह से काम करने लगेगी।

ब्रह्मोस का बाप है ये मिसाइल, तीन गुना तेज
ईटी-एलडीएचसीएम मिसाइल की स्पीड मैक 8-10 तक हो सकती है। यानी यह 11000 से लेकर 12 हजार किलोमीटर की रफ्तार से चल सकती है। यह ब्रह्मोस की मैक 3 गति लगभग 3,675 किमी/घंटे से करीब तीन गुना तेज है। इस मिसाइल की खास बात ये है कि यह कम ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकती है, जिससे कोई भी रडार इसे पकड़ नहीं सकता। किसी भी चुनौतीपूर्ण इलाकों में भी यह मिसाइल सटीकता से अपने टारगेट को निशाना बना सकती है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

दो साल पहले 6 करोड़ का बना पुल हुआ जमींदोज जलभराव बना बच्चों की पढ़ाई में बाधा संगीता बिजलानी की बर्थडे पार्टी में पहुंचे अर्जुन बिजली 3 घंटे ही आ रही… मंत्री बोले- बोलो जय सिया राम बद्रीनाथ मंदिर गेट पर फोटो को लेकर श्रद्धालुओं में भिड़ंत