
लखनऊ: निजीकरण पर आमादा पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा बिजली कर्मियों पर मनमाने ढंग से की जा रही उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों का कड़ा विरोध किया जायेगा। यदि उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियां बंद न की गई तो बिजली कर्मी आगामी 22 जुलाई को प्रांतव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पावर कारपोरेशन प्रबंधन को यह चेतावनी दी।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के केंद्रीय पदाधिकारियों ने बताया कि बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता विगत आठ माह से निजीकरण का विरोध कर रहे हैं।
पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने बिजली कर्मियों का मनोबल तोड़ने के लिए बिजली कर्मियों के घरों पर स्मार्ट मीटर लगाने की कार्यवाही है। बिजली कर्मियों को रिफॉर्म एक्ट 1999 और ट्रांसफर स्कीम 2000 के अंतर्गत रियायती बिजली की सुविधा गजट नोटिफिकेशन के जरिए मिली है।
इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में भी साफ लिखा है कि विद्युत परिषद के समय मिल रही सुविधा किसी भी स्तर पर कमतर नहीं होगी। स्मार्ट मीटर लगाने से बिजली कर्मचारी और पेंशनर तथा उनके परिवार प्रभावित हो रहे है। फेशियल अटेंडेंस के नाम पर कई हजार बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं का जून माह का वेतन रोक दिया गया है। जुलाई माह की 18 तारीख हो जाने तक इन कर्मचारियों को जून माह का भी वेतन नहीं दिया गया है।
निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन में आने वाले कर्मचारियों को और महिला कर्मचारियों को चिन्हित कर दूरस्थ स्थानों पर ट्रांसफर किया गया और उन्हें बिना प्रतीक्षा किए तत्काल कार्य मुक्त कर दिया गया। अत्यंत अल्प वेतन भोगी संविदा कर्मचारियों लगभग 45ः संविदा कर्मचारी सेवाओं से बर्खास्त कर दिए गए।
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