
- जयवीर सिंह बोले..बटेश्वर में बुनियादी सुविधाओं के विकास हेतु 27 करोड़ रूपए की परियोजना स्वीकृत
लखनऊ: पर्यटन विभाग देश के पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की 101वीं जयंती वर्ष को विशेष बनाने के लिए आगरा स्थित उनके पैतृक गांव बटेश्वर को एक प्रमुख पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना तैयार की है। यह ऐतिहासिक स्थल न केवल अटल जी की विरासत से जुड़ा है, बल्कि यहां स्थित प्राचीन शिव मंदिरों की श्रृंखला भी धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। पर्यटन विभाग 27 करोड़ रुपए की परियोजनाओं से बटेश्वर में बुनियादी सुविधाओं को सुदृढ़ कर क्षेत्रीय विकास का निर्णय लिया है।
उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि बटेश्वर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए पर्यटन विभाग यहां बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करेगा, जिससे देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। राज्य सरकार बटेश्वर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर प्रमुखता से स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे आगरा आने वाले पर्यटक केवल ताजमहल तक सीमित न रहे, बल्कि बटेश्वर, इत्र नगरी कन्नौज समेत अन्य पर्यटन स्थलों की ओर भी आकर्षित होंगे।
उन्होंने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी जी के पैतृक गांव बटेश्वर में पर्यटन विकास योजनाओं को मूर्त रूप देने जा रही है। इसके लिए दो करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं। पर्यटन विभाग इस राशि का उपयोग बटेश्वर में आधारभूत संरचनाओं के विकास, सड़क संपर्क सुधार और पर्यटक सुविधाओं के विकास में करेगा। इसका उद्देश्य न केवल बटेश्वर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करना है, बल्कि अटल जी की स्मृतियों को संरक्षित कर भावी पीढ़ियों तक पहुंचाना भी है। आगरा के बटेश्वर धाम स्थित गोपालेश्वर मंदिर से सांस्कृतिक संकुल तक घाट विकास कार्य के लिए 19 करोड़ रुपए की परियोजना स्वीकृत की गई है। इसी प्रकार, बटेश्वर धाम में दो प्रवेश द्वारों के निर्माण (फिरोजाबाद रोड एवं एक्सप्रेस वे रोड पर) कार्य पर पांच करोड़ रुपए खर्च होंगे। ये प्रवेश द्वार क्षेत्र की महत्ता को प्रदर्शित करेंगे।
जयवीर सिंह ने बताया कि इको टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत रपड़ी क्षेत्र में साइनेज के विकास कार्य के लिए एक करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। यह राशि क्षेत्र की पर्यटन संरचना को मजबूत करने और पर्यटकों के लिए सुविधाजनक अनुभव सुनिश्चित करने हेतु उपयोग की जाएगी। परियोजना के तहत प्रमुख स्थलों, मार्गों और सुविधाओं की पहचान दर्शाने वाले आधुनिक संकेतक लगाए जाएंगे। इससे पर्यटकों को दिशा-निर्देश मिलने में आसानी होगी। बटेश्वर नाथ मंदिर उत्तर प्रदेश-मध्य प्रदेश सीमा पर चंबल घाटी में स्थित है। यहां भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव ने एक बरगद पेड़ के नीचे विश्राम किया था, जिस कारण इस जगह का नाम बटेश्वर पड़ा। कहते हैं, यहां यमुना की धारा उल्टी दिशा में बहती है। ये सभी कहानियां सतयुग, द्वापर, त्रेता और कलयुग कालखंड की हैं।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि बटेश्वर में मंदिरों का निर्माण प्रतिहार वंश के शासन काल में हुआ था। नागर शैली में निर्मित बटेश्वर का यह धाम 101 शिव मंदिरों की श्रृंखला के लिए देश-दुनिया में जाना जाता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को प्रत्येक वर्ष बड़ा पशु मेला लगता है। मेले में हर साल लाखों रुपयों का कारोबार होता है। पूर्णिमा पर विशेष स्रान के लिए भी यहां लाखों श्रद्धालुओं का आगमन होता है। उन्होंने कहा कि स्व0 अटल जी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है।
एक कुशल राजनीतिज्ञ, लेखक, पत्रकार एवं ओजस्वी वक्ता होने के साथ ही विदेश नीति को भारत के अनुकूल ढालने में महारत हासिल थी। उनके पैतृक निवास को विकसित कर उनके प्रशंसकों एवं शुभचिंतकों को समर्पित करना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। युवा पीढ़ी उनके संघर्ष, राजनीतिक जीवन से हमेशा प्रेरणा लेती रहेगी। इसी दृष्टिकोण से बटेश्वर को धार्मिक तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है।
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