
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक हालिया आदेश अर्धसैनिक बलों (CAPFs) के लिए चिंता का कारण बन गया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और असम राइफल्स के उन रिक्रूट और कार्मिकों से 1 सितंबर 2008 से अब तक दिए गए अनियमित ट्रांसपोर्ट अलाउंस की रिकवरी की जाएगी।
1. ट्रांसपोर्ट अलाउंस की रिकवरी
गृह मंत्रालय ने आदेश दिया है कि अर्धसैनिक बलों में रिक्रूट प्रशिक्षण के दौरान या अन्य परिस्थितियों में यदि अनियमित रूप से ट्रांसपोर्ट अलाउंस दिया गया है, तो उसकी पूरी रिकवरी सुनिश्चित की जाए। यह स्पष्ट किया गया है कि इस आदेश का प्रभाव 2008 से पूर्वव्यापी (retrospective) रूप से लागू होगा।
2. ट्रेनिंग के दौरान HRA देने की जांच
मंत्रालय ने पाया है कि कुछ बलों में रिक्रूट को ट्रेनिंग के दौरान मकान किराया भत्ता (HRA) भी दिया गया है। इस पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि:
- यह किस आदेश या नीति के तहत दिया गया?
- आदेश जारी करने वाली अथॉरिटी कौन थी?
- क्या इसकी वैधानिक मंजूरी थी?
इन सभी सवालों का जवाब संबंधित बलों को रिपोर्ट के रूप में देना होगा।
3. जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के निर्देश
गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि जिन अधिकारियों के आदेश या लापरवाही से यह अनियमित भत्ता वितरित हुआ, उनकी जिम्मेदारी तय की जाए। मंत्रालय को यह भी बताया जाए कि:
- उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है या की जाएगी?
- उन्होंने किन नियमों का उल्लंघन किया है?
पहले भी उठ चुका है मुद्दा
गृह मंत्रालय की पुलिस (सेकंड) डिवीजन द्वारा 17 जुलाई को कार्यालय ज्ञापन जारी किया गया, जो 7 जुलाई को CRPF और असम राइफल्स से जुड़ी रिपोर्ट के आधार पर तैयार किया गया था। सीआरपीएफ ने 5 दिसंबर 2023 और 22 अक्टूबर 2024 को जवाब भेजा था, जिसमें माना गया कि ट्रांसपोर्ट अलाउंस और HRA रिक्रूट को दिया गया।
अब गृह मंत्रालय ने सभी सीएपीएफ और एआर को तीन प्रमुख निर्देशों के साथ जवाबदेह बनाया है और स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में ऐसे किसी अनियमित भुगतान के लिए ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई जाएगी।