तेज होती सैन्य रफ्तार : 24 घंटे में 3 मिसाइल टेस्ट….भारत की ताकत का दुश्मन देशों को सीधा जवाब

भारत की मिसाइल तकनीक लगातार मजबूत हो रही है। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में स्वदेशी मिसाइल सिस्टम ने अपनी ताकत का प्रदर्शन कर दिया था। इसके बाद 16 और 17 जुलाई 2025 को भारत ने एक बार फिर रक्षा क्षेत्र में तीन बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। इन दो दिनों में तीन अहम मिसाइलों का सफल परीक्षण कर भारत ने दुनिया को दिखा दिया कि वह रणनीतिक और तकनीकी रूप से कितना सक्षम है।

तीन मिसाइलें और तीन सफलताएं

सबसे पहले 16 जुलाई को भारतीय सेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने लद्दाख के ऊंचाई वाले कठिन इलाके में आकाश-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण 4,500 मीटर से भी ज्यादा ऊंचाई (करीब 15,000 फीट) पर हुआ, जहां वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है और हवाएं तेज होती हैं। 

इसके बाद 17 जुलाई को ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से दो बैलिस्टिक मिसाइलों- पृथ्वी-2 और अग्नि-1 का सफल परीक्षण हुआ। ये दोनों मिसाइलें भारत की परमाणु ताकत की रीढ़ हैं।

आकाश-प्राइम ने ऊंचाई पर दिखाया जबरदस्त प्रदर्शन

आकाश-प्राइम मिसाइल, आकाश सिस्टम का नया और बेहतर रूप है। यह खासतौर पर भारतीय सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विकसित की गई है। यह मिसाइल 30 से 35 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती है और 18 से 20 किलोमीटर की ऊंचाई तक असरदार ढंग से काम कर सकती है। यह दुश्मन के लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और ड्रोन्स को खत्म करने की क्षमता रखती है।

इसमें लगा ‘राजेंद्र’ नामक रडार सिस्टम 360 डिग्री कवरेज देता है और एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है। इस परीक्षण में आकाश-प्राइम ने दो हाई-स्पीड ड्रोन्स को सफलतापूर्वक निशाना बनाकर गिरा दिया। इसकी सबसे बड़ी विशेषता इसका स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर (RF Seeker) है, जो लक्ष्य की सटीक पहचान करता है और मिसाइल को सही दिशा में निर्देशित करता है। यह तकनीक पहले गिने-चुने देशों के पास ही थी, लेकिन अब भारत ने इसे भी सफलतापूर्वक विकसित कर लिया है।

इस परीक्षण को ‘फर्स्ट ऑफ प्रोडक्शन मॉडल फायरिंग ट्रायल’ के तहत अंजाम दिया गया ताकि सेना को जल्द से जल्द यह मिसाइल मुहैया कराई जा सके। इस परियोजना में भारतीय सेना, DRDO, भारत डायनेमिक्स लिमिटेड, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और कई निजी कंपनियों ने मिलकर काम किया है। अब यह मिसाइल सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात की जाएगी।

पृथ्वी-2 और अग्नि-1: ने बढ़ाई परमाणु ताकत

17 जुलाई को जिन दो मिसाइलों का परीक्षण हुआ, वे थीं पृथ्वी-2 और अग्नि-1। पृथ्वी-2 मिसाइल लिक्विड ईंधन पर आधारित है और यह 350 किलोमीटर तक सटीक निशाना साध सकती है। दूसरी ओर, अग्नि-1 मिसाइल सॉलिड ईंधन पर चलती है और इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर तक है। दोनों ही मिसाइलें परमाणु और पारंपरिक वारहेड ले जाने में सक्षम हैं। इनका परीक्षण स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड की निगरानी में हुआ और सभी तकनीकी मानकों को सफलता के साथ पूरा किया गया।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक और बड़ी सफलता

आकाश-प्राइम की यह सफलता ऑपरेशन सिंदूर की याद दिलाती है, जब भारत ने पाकिस्तान के हवाई हमलों को रोका था। उस समय आकाश मिसाइल सिस्टम ने चीनी ड्रोन और तुर्की के लड़ाकू विमानों को रोककर अपनी क्षमता का प्रमाण दिया था। उसके बाद सेना की सलाह और अनुभव के आधार पर आकाश-प्राइम को और बेहतर बनाया गया, खासकर ऊंचाई वाले इलाकों में असरदार तरीके से काम करने के लिए।

अन्य रक्षा उन्नयन: AK‑203 और AMCA इंजन

AK‑203 असॉल्ट राइफल्स का नया बैच- यह कलाश्निकोव श्रृंखला की आधुनिक राइफल है, जो प्रति मिनट 700 राउंड तक फायर कर सकती है और 800 मीटर तक लक्ष्य भेद सकती है।इसका उत्पादन उत्तर प्रदेश के अमेठी में इंडो‑रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) में हो रहा है, जिसे भारत में ‘शेर’ नाम से जाना जाता है।

AMCA इंजन निर्माण समझौता- भारत और रूस AMCA (अर्ध-प्रवेशिक लड़ाकू विमान) के इंजन निर्माण को लेकर बातचीत कर रहे हैं। यह समझौता फाइटर जेट क्षमताओं को मजबूत करेगा और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को और आगे ले जाएगा।

रक्षा के मामले में अब भारत आत्मनिर्भर

इन तीनों मिसाइलों के सफल परीक्षण ने यह साबित कर दिया है कि भारत अब हवाई और परमाणु रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होता जा रहा है। आकाश-प्राइम ने लद्दाख की ऊंचाई पर और पृथ्वी-2 व अग्नि-1 ने ओडिशा की धरती से अपनी ताकत दिखाकर यह दिखा दिया कि भारत अब अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है।

ये सफलताएं केवल मिसाइल तकनीक की नहीं हैं, बल्कि ये आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और बड़ा कदम हैं। अब भारत अपनी रक्षा जरूरतों को खुद पूरा करने में पूरी तरह सक्षम होता जा रहा है, जो आने वाले समय में देश की रणनीतिक ताकत को और अधिक मजबूत बनाएगा।

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