
पीलीभीत: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जनपद में बाघ का आतंक एक बार फिर कहर बनकर टूटा। न्यूरिया थाना क्षेत्र में बीते कई दिनों से घूम रहे बाघ ने गुरुवार सुबह महज दो घंटे के भीतर पांच किलोमीटर के दायरे में तीन लोगों पर हमला कर दिया। इसमें एक महिला की मौत हो गई, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हैं।
गांव मंडरिया में महिला को मार डाला
सुबह करीब 8 बजे गांव मंडरिया निवासी कृष्णा देवी (55) पत्नी कालीचरण पर बाघ ने घात लगाकर हमला किया। वह खेत में घास काट रही थीं, तभी बाघ ने उन्हें दबोच लिया और करीब 20 मीटर दूर गन्ने के खेत में घसीट ले गया। हमले में कृष्णा देवी की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। बाघ उनके शरीर का निचला हिस्सा खा गया था।
दो अन्य हमलों में किशोर और महिला घायल
इससे पहले सुबह 6:30 बजे सहजनिया गांव की मीना देवी (50) पर उस वक्त हमला हुआ, जब वह खेत में भिंडी तोड़ने जा रही थीं। बाघ ने उन्हें भी गन्ने के खेत की ओर खींच लिया, लेकिन आसपास मौजूद ग्रामीणों के शोर मचाने पर भाग गया। महिला की पीठ और गर्दन पर गंभीर घाव आए हैं। उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
इसके करीब एक घंटे बाद, मंडरिया गांव के ही नीलेश (17 वर्ष) पुत्र केशव पर भी बाघ ने हमला कर दिया। किशोर ने हाथ-पैर चलाकर शोर मचाया, जिससे बाघ वहां से भाग निकला। नीलेश भी घायल है और उसका इलाज चल रहा है।
ग्रामीणों में उग्रता, शव उठाने से किया इनकार
कृष्णा देवी की मौत की खबर फैलते ही ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया। सैकड़ों लोग मौके पर जमा हो गए और शव को तब तक उठाने से इनकार कर दिया, जब तक बाघ को पकड़ने की ठोस कार्रवाई शुरू नहीं की जाती। स्थिति को देखते हुए डीएम ज्ञानेंद्र सिंह, एसपी अभिषेक यादव, और विधायक स्वामी प्रवक्तानंद मौके पर पहुंचे। करीब दो घंटे की मशक्कत और 24 घंटे में बाघ को पकड़ने के आश्वासन पर ग्रामीण शांत हुए और शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया।
बाघ की तलाश में हाथियों के साथ टीम रवाना
वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए हाथियों और विशेषज्ञों की टीम बुला ली है। डीएफओ भरत कुमार डीके ने कहा कि बाघ की तलाश तेज कर दी गई है और उसे पकड़ने के लिए सभी संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है।
65 दिन में सात लोगों की मौत
पीलीभीत जिले में पिछले 65 दिनों में बाघ के हमलों में सात लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य घायल हो चुके हैं। इन हमलों में चार घटनाएं पूरनपुर तहसील और तीन न्यूरिया क्षेत्र में हुई हैं। इसके बावजूद अब तक बाघ को पकड़ने में सफलता नहीं मिली है।
अब तक इन लोगों की गई जान
तिथि | मृतक का नाम | गांव |
---|---|---|
14 मई | हंसराज | नजीरगंज |
18 मई | रामप्रसाद | चतीपुर |
25 मई | लौंगश्री | खिरकिया बरगदिया |
3 जून | रेशमा | शांतिनगर हजारा |
9 जून | मुकेश कुमार | मेवातपुर |
14 जुलाई | दयाराम | फुलहर |
17 जुलाई | कृष्णा देवी | मंडरिया |
स्थानीय लोगों की मांग – स्थायी समाधान
स्थानीय ग्रामीणों ने सरकार और वन विभाग से मांग की है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए बाघों की निगरानी और रोकथाम के स्थायी उपाय किए जाएं। अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन समय रहते कार्रवाई कर पाएगा या पीलीभीत के जंगलों से ये हमले यूं ही जारी रहेंगे?
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