
इजराइल ने बुधवार को सीरिया की राजधानी दमिश्क में सैन्य मुख्यालय पर हमला कर दिया। अल जजीरा के मुताबिक इजराइल ने हेडक्वार्टर पर 2 ड्रोन दागे हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें लाइव शो के दौरान बमबारी होती दिख रही है। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि वह जगह मिलिट्री हेडक्वार्टर ही है।
दक्षिणी सीरिया के स्वेदा प्रांत में शिया ड्रूज और सुन्नी बेदोइन समुदाय के बीच बीते 4 दिनों से हिंसक लड़ाई चल रही है। इसमें 250 लोग मारे जा चुके हैं।
इजराइली रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने चेतावनी दी थी कि सीरियाई सेना को देश के दक्षिणी हिस्से से हट जाना चाहिए। ऐसा नहीं होने तक इजराइली सेना हमले करते रहेगी।
स्वेदा में चार दिनों तक चली लड़ाई के बाद मंगलवार को संघर्ष विराम की घोषणा की गई थी, लेकिन इसके बावजूद बुधवार को फिर से हिंसा भड़क उठी।
Important: Israeli bombardment captured live on Syrian television. ISRAEL MUST CEASE ITS VIOLATIONS OF SYRIAN SOVEREIGNTY. #Syria #Damascus #السويداء
— Mahmoud مَحمود (@Mdo091) July 16, 2025
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सीरिया में इजराइली के हमले से जुड़ी 4 फुटेज…




ड्रूज और बेदोइन के बीच तनाव बढ़ा
यह झड़पें रविवार को तब शुरू हुईं जब स्वेदा में बेदोइन समुदाय के कुछ लोगों ने एक ड्रूज पर हमला करके उसे लूट लिया। इसके बाद ड्रूज मिलिशिया और बेडोइन ग्रुप्स के बीच झड़प शुरू हो गई।
इन बेदोइन ग्रुप्स में कुछ ऐसे भी थे जिन्हें सीरियाई सरकार का समर्थक माना जाता है। इसके बाद लगातार हमले, अपहरण और हिंसा बढ़ती चली गई। हिंसा को रोकने की कोशिश में सीरियाई सरकार ने सोमवार को मिलिट्री भेजी।
ड्रूज मिलिशिया के नेताओं ने कहा कि उन्हें नई सरकार पर भरोसा नहीं है। इसके साथ यह भी डर था कि ये सीरियाई सैनिक बेदोइन ग्रुप्स का साथ देंगे। इस वजह से संघर्ष और भड़क गया।
ड्रूज समुदाय के समर्थन में इजराइल
इसके बाद इजराइल भी इस लड़ाई में कूद गया और उसने सुवेदा के आसपास के इलाकों में सीरियाई सरकारी बलों पर बमबारी की। हमले के बाद इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि उनका मकसद ड्रूज समुदाय की रक्षा करना है, क्योंकि इजराइल और इजराइली कब्जे वाले गोलान हाइट्स में ड्रूज लोगों से उनके अच्छे रिश्ते हैं।
सीरिया के गृह मंत्रालय ने इस हिंसा को सांप्रदायिक न मानते हुए कहा कि यह सरकार और अपराधियों के बीच की लड़ाई है, न कि सरकार और किसी खास समुदाय के बीच की। मंत्रालय ने माना कि स्वेदा में अराजकता को रोकने में सरकार नाकाम रही।
रिपोर्ट के मुताबिक स्वेदा शहर में इंटरनेट और बिजली पूरी तरह बंद हो गई है। शिया ड्रूज समुदाय सीरिया की कुल आबादी का करीब 3% यानी 8 लाख है। पिछले 14 साल तक चले गृहयुद्ध के दौरान खुद को असद सरकार और इस्लामी चरमपंथी आतंकियों से बचाने के लिए ड्रूज समुदाय में कई मिलिशिया बने।
ड्रूज मिलिशियाओं ने सीरिया के स्वेदा पर मजबूत कंट्रोल बनाए रखा है। यह इलाका जॉर्डन बॉर्डर के पास और इजराइल के नजदीक एक रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण जगह है।
सीरिया पर कब्जे के बाद भी स्वेदा नहीं जीत पाए जुलानी
जब दिसंबर में सुन्नी विद्रोही गठबंधन ने लंबे समय से राष्ट्रपति रहे बशर अल-असद की सत्ता को खत्म कर दिया, तब सीरिया की नई सरकार ने ड्रूज नेताओं से संपर्क किया। सरकार चाहती है कि ड्रूज मिलिशिया उसकी राष्ट्रीय सेना में शामिल हो जाएं, जिससे पूरे देश पर उसका नियंत्रण मजबूत हो सके। लेकिन ड्रूज नेताओं को नए राष्ट्रपति अहमद अल-शरा (मोहम्मद अल जुलानी) और उनके वादों पर भरोसा नहीं है।
अहमद अल-शरा पहले एक इस्लामी विद्रोही समूह का हिस्सा थे, जिसमें अधिकतर सुन्नी मुसलमान थे और जिसे कभी अल-कायदा से जुड़ा हुआ माना जाता था। ऐसे में ड्रूज और अन्य धार्मिक व जातीय अल्पसंख्यक सरकार के इरादों को लेकर शंका में हैं।
सीरिया पर हमले क्यों कर रहा इजराइल
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इजराइल की इस संघर्ष में दिलचस्पी के दो बड़े कारण हैं। पहला, वह नहीं चाहता कि ईरान समर्थित या इजराइल विरोधी इस्लामी चरमपंथी समूह सीरियाई सीमा के पास अपना ठिकाना बनाएं, खासकर स्वेदा जैसे ड्रूज बहुल इलाकों में।
दूसरी वजह इजराइल के भीतर मौजूद ड्रूज समुदाय हैं। ये इजराइली सरकार के काफी करीब माने जाते हैं। उनकी चिंता को दूर करने के लिए भी इजराइल सक्रिय हो गया है
इजराइल ने सोमवार और मंगलवार को स्वेदा में सीरियाई सरकारी सैनिकों पर हवाई हमले किए। हाल के महीनों में इजराइली सेना ने दक्षिणी सीरिया के उस बफर जोन पर कंट्रोल कर लिया है जहां पहले संयुक्त राष्ट्र के सैनिक गश्ती करते थे।

इसके अलावा इजराइली सेना दमिश्क के दक्षिण में घुसपैठ कर चुकी है। इजराइल पूरे सीरिया में कई सैन्य ठिकानों पर सैकड़ों हवाई हमले कर चुका है। उसका कहना है कि वह यह सुनिश्चित करना चाहता है कि असद शासन के जमाने के हथियार आतंकवादियों या उसके दुश्मनों के हाथ न लगें।
1990 के दशक में सीरिया के साथ शांति वार्ता का नेतृत्व कर चुके इजराइली इतिहासकार इतामार राबिनोविच कहते हैं, “इजराइली सरकार कोई जोखिम नहीं ले सकते। वह नहीं सीरिया के गोलान इलाके में दुश्मन ताकतें जम जाएं, जिसके बाद ईरान या हिजबुल्लाह वहां कोई खेल रचें।”