ईटीएफ : रिटेल निवेशकों के लिए चांदी में निवेश का सबसे सरल और पारदर्शी तरीका है

चिंतन हरिया, प्रिंसिपल – इन्वेस्टमेंट स्ट्रेट्जी, आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल एएमसी

पिछले छह महीनों में शेयर बाजारों में 15-25% की तेज गिरावट के बाद अप्रैल से फिर से जबरदस्त उछाल देखने को मिला।लेकिन अमेरिका की व्यापार नीति को लेकर अनिश्चितता, फेडरल रिज़र्व की दरों में कटौती को लेकर धीमापन और खासकर मिडिल ईस्ट में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के चलते कच्चे तेल की कीमतों में उबाल इन सभी वजहों से बाजारों में घबराहट बनी हुई है।

ऐसे में निवेशकों के लिए कमोडिटी में डायवर्सिफाई करना फायदेमंद हो सकता है। अब तक सोना सुरक्षित निवेश का पर्याय माना जाता रहा है, लेकिन आज की परिस्थितियों में चांदी को पोर्टफोलियो में शामिल करने का समय आ गया है और इसके पीछे कई ठोस कारण हैं।

चिंतन हरिया, प्रिंसिपल – इन्वेस्टमेंट स्ट्रेट्जी, आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल एएमसी के अनुसार चांदी महंगाई के खिलाफ एक मजबूत सुरक्षा कवच की तरह काम करती है। इसकी मांग और आपूर्ति में हमेशा अंतर रहा है, जिससे इसकी कीमतों में स्थिरता बनी रहती है। पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरह के उद्योगों में चांदी की खपत लगातार बढ़ रही है, जिससे इसकी मांग मजबूत बनी रहेगी। लंबे समय में इसने कर्ज आधारित निवेश साधनों की तुलना में बेहतर रिटर्न दिया है।

एक और अहम बात यह है कि चांदी की कीमत अभी भी सोने की तुलना में काफी कम है। गोल्ड-सिल्वर रेशियो के हिसाब से देखें तो यह कम मूल्यांकन की स्थिति में है। इसके अलावा, अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने इस साल दो और दर कटौती के संकेत दिए हैं- जो चांदी के लिए और सकारात्मक संकेत है। निवेशक ईटीएफ के जरिए इसमें निवेश कर सकते हैं, जो कि एक सुविधाजनक तरीका है।

क्या बनाता है चांदी को आकर्षक

  1. मांग और आपूर्ति में अंतर

चांदी का उत्पादन मुख्य रूप से खनन और रीसायक्लिंग के जरिए होता है। 2021 से अब तक चांदी की वैश्विक मांग आपूर्ति से कहीं ज्यादा रही है। सिल्वर इंस्टीट्यूट की 2025 रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में चांदी की मांग 1164.1 मिलियन औंस थी, जबकि आपूर्ति सिर्फ 1015.1 मिलियन औंस रही। 2025 में यह मांग 1148.3 मिलियन औंस और आपूर्ति 1030.6 मिलियन औंस रहने का अनुमान है। इस अंतर के चलते कीमतें लंबे समय तक मजबूत बनी रह सकती हैं।

2. मूल्यांकन आकर्षक

गोल्ड-सिल्वर रेशियो बताता है कि एक ग्राम/औंस सोना खरीदने के लिए कितनी चांदी की जरूरत है। यह जितना अधिक होता है, चांदी उतनी ही कम मूल्यांकित मानी जाती है।
2020-21 में यह रेशियो 65-70 के आसपास था, जो अब जून 2025 में बढ़कर 93 से ऊपर चला गया है- यह दर्शाता है कि चांदी अभी सोने की तुलना में सस्ती है और निवेश का अच्छा मौका बन सकती है।

3. शेयर बाजार और महंगाई पर बढ़त

2010 से 2024 के बीच 15 सालों में से सात वर्षों में चांदी ने Nifty 50 TRI से बेहतर प्रदर्शन किया है। वैश्विक अस्थिरता के समय जब इक्विटी बाजार दबाव में होते हैं, तब चांदी अक्सर बेहतर रिटर्न देती है।
पिछले छह वर्षों में से चार बार चांदी ने महंगाई को भी मात दी है।

4. परंपरागत और नई तकनीकों में बढ़ता इस्तेमाल

चांदी का उपयोग अब इलेक्ट्रिक वाहन, ग्रीन एनर्जी, 5G नेटवर्क, बायोफार्मा, क्लीन एनर्जी, पावर जेनरेशन और मेडिकल उपकरणों जैसे हाई-टेक क्षेत्रों में भी तेजी से हो रहा है। इसके अलावा, पारंपरिक उद्योग जैसे मिरर, सोलर पैनल, ऑटोमोबाइल, इंडस्ट्रियल बैटरी, मैन्युफैक्चरिंग और टेक्सटाइल भी बड़े उपभोक्ता हैं।

5. वैश्विक अनिश्चितता और दरों में कटौती

हालांकि अमेरिका में दरों में कटौती की प्रक्रिया धीरे चल रही है, लेकिन इस साल दो कटौती की उम्मीद बनी हुई है। साथ ही इजराइल-ईरान-अमेरिका, रूस-यूक्रेन और भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव से वैश्विक अस्थिरता बनी हुई है, और चांदी जैसी धातुएं ऐसे समय में निवेशकों की पहली पसंद बनती हैं।
लंबी अवधि में भारत और अमेरिका- दोनों देशों में दरों में नरमी की संभावना और साथ ही एआई, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे क्षेत्रों में बढ़ती मांग, चांदी की मांग को और मजबूती दे सकती है।

ईटीएफ के जरिए निवेश करें

रिटेल निवेशकों के लिए चांदी में निवेश का सबसे सरल और पारदर्शी तरीका है- ईटीएफ यह एक्सचेंजों पर आसानी से खरीदी-बेची जा सकती है। कम से कम ₹500 से भी निवेश संभव है। भौतिक चांदी की तरह इसे स्टोर करने की झंझट नहीं होती और ट्रांजैक्शन कॉस्ट भी काफी कम होती है।

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