
भोपाल : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के पूर्व प्रवर्तन अधिकारी श्यामलाल अखंड के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ईडी की भोपाल इकाई ने उज्जैन और इंदौर में स्थित लगभग 51 लाख रुपये की संपत्ति को जब्त किया है। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) 2002 के तहत की गई है।
ईडी ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उक्त जानकारी साझा करते हुए बताया कि यह संपत्ति श्यामलाल अखंड, उनकी पत्नी और बेटे के नाम पर खरीदी गई थी। जांच में सामने आया है कि अखंड ने 2009 से 2019 के बीच ईपीएफओ में सेवा के दौरान अपनी वैध आय से कहीं अधिक संपत्ति बनाई। इस अवधि में उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध आय अर्जित की और उसे रियल एस्टेट में निवेश किया। कई पारिवारिक बैंक खातों में बड़ी मात्रा में नकदी भी पाई गई।
पूछताछ के दौरान अखंड ने अपनी आय का स्रोत वेतन, किराया, खेती और पत्नी के सिलाई-कढ़ाई व्यवसाय को बताया, मगर संबंधित दस्तावेजी प्रमाण नहीं दे सके। इससे यह संदेह और गहरा गया कि आय के वास्तविक स्रोत छुपाए गए हैं। गत आठ जुलाई को उज्जैन के नलवा गांव की कृषि भूमि और इंदौर के जख्या क्षेत्र की एमरॉल्ड सिटी में एक आवासीय प्लॉट को अटैच किया गया है।
ईडी की यह कार्रवाई श्यामलाल अखंड के खिलाफ पहले से दर्ज दो एफआईआर पर आधारित है-एक रिश्वतखोरी और दूसरी आय से अधिक संपत्ति के संबंध में। बताया गया कि छह साल पहले सीबीआई ने मंदसौर की एक निजी निर्माण कंपनी से पीएफ हेराफेरी को दबाने के बदले रिश्वत मांगने के आरोप में अखंड के ठिकानों पर छापा मारा था। अखंड उस समय उज्जैन के भरतपुरी स्थित ईपीएफओ कार्यालय में पदस्थ थे। उन्होंने कथित रूप से कंपनी से पांच लाख रुपये की मांग की थी, जिसमें से दो लाख रुपये की राशि उनके आवास पर ली गई थी।
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