बिहार वोटर लिस्ट मामला : SC ने पूछा- चुनाव आयोग कैसे गलत, साबित करो…

Bihar Voting List Revision : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बिहार वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ विपक्षी पार्टियों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया है। इस मुद्दे पर राजनीतिक मोर्चेबंदी तेज हो गई है और विपक्षी दल इस कदम को मनमाना और असंवैधानिक बताते हुए सामने आए हैं। विपक्षी नेताओं ने इस संदर्भ में सड़क पर उतरकर अपना विरोध दर्ज कराया है, जिसमें तेजस्वी यादव, राहुल गांधी, दीपांकर भट्टाचार्य जैसे शीर्ष नेता शामिल हुए।

9 जुलाई को विपक्षी दलों के नेताओं ने व्यापक प्रदर्शन किया और चक्का जाम किया। इस प्रदर्शन में भारी संख्या में समर्थक भी शामिल हुए, जिन्होंने इस प्रक्रिया के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया। विपक्ष का आरोप है कि यह विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला है और इसमें सरकार का मनमाना रवैया नजर आ रहा है।

विपक्ष के इस प्रदर्शन के बाद अब यह मामला कानूनी जंग का रूप ले चुका है। वोटर लिस्ट के इस विशेष पुनरीक्षण को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। विपक्ष का दावा है कि यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के खिलाफ है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।

याचिकाकर्ताओं में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, योगेंद्र यादव और कई अन्य राजनीतिक दल शामिल हैं। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग द्वारा की जा रही इस पुनरीक्षण प्रक्रिया में कई पात्र मतदाताओं को बाहर किया जा सकता है और गैर-पात्र व्यक्तियों को शामिल किया जा सकता है।

निर्वाचन आयोग ने 24 जून को इस प्रक्रिया की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य है कि सभी पात्र मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल किया जाए और अपात्र मतदाताओं को हटाया जाए। आयोग का कहना है कि तेज़ी से हो रहे शहरीकरण, प्रवास, और नए 18 वर्ष के युवाओं के जुड़ने के कारण यह आवश्यक हो गया है। इसके तहत विदेशियों और अवैध प्रवासियों को भी बाहर करने का प्रावधान किया गया है, जिसकी जानकारी आयोग ने दी है।

विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया में बहुत सारी पात्र मतदाताओं के दस्तावेज़ न होने के कारण वे मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं। विपक्ष का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया असंवैधानिक है और इससे लोकतंत्र को खतरा हो सकता है। विपक्ष का दावा है कि यह कदम सरकार की राजनीतिक मंशा को पूरा करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने हैं। चुनाव आयोग का लक्ष्य है कि 1 अगस्त तक मतदाता सूची का प्रारूप तैयार कर लिया जाए, जिसमें आपत्तियों और जांच का दौर चलेगा। चुनाव आयोग का दावा है कि वर्तमान में 7.9 प्रतिशत मतदाताओं में से 57 प्रतिशत से अधिक ने नए फॉर्म जमा कर दिए हैं, जिनकी जांच की जा रही है।

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