वोटिंग लिस्ट पर बिहार बंद के बीच EC एक्स पर पोस्ट किया संविधान का अनुच्छेद 326, जानिए वजह

Bihar Chunav : बिहार में वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन को लेकर गहन राजनीतिक विवाद के बीच चुनाव आयोग ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 को पोस्ट किया है। यह कदम विपक्षी दलों और राजनीतिक नेताओं के बीच तीव्र प्रतिक्रिया का कारण बना है।

अनुच्छेद 326 भारत के संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनावों की गारंटी देता है। इसके तहत, भारत का हर नागरिक जो 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र का हो और सामान्य रूप से किसी निर्वाचन क्षेत्र में निवास करता हो, उसे मतदान का अधिकार प्राप्त है। इस प्रावधान का मकसद देश के सभी नागरिकों को समान रूप से मतदान का अधिकार देना है।

बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के तहत मतदाता सूची का पुनरीक्षण चल रहा है, जिसे लेकर राजनीतिक दलों में विरोध-प्रदर्शन और नाराजगी की स्थिति बनी हुई है। विपक्ष का तर्क है कि इस प्रक्रिया में मतदाताओं की पहचान और मतदाता सूची में नाम हटाने की कार्रवाई राजनीतिक रूप से प्रेरित हो सकती है, जिससे चुनावी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।

राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग के इस कदम पर विरोध जताया है। यहाँ तक कि राजेडी सांसद मनोज झा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए कहा है कि यह प्रक्रिया संविधान के आधारभूत प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है। उनका आरोप है कि बिना उचित प्रक्रिया के मतदाता सूची में बदलाव करना लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकता है।

वहीं, चुनाव आयोग का तर्क है कि वह संविधान के नियमों के तहत ही मतदाता सूची का पुनरीक्षण कर रहा है। उन्होंने कहा है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से संविधानिक प्रावधानों और नियमों के पालन में ही की जा रही है। इस संदर्भ में, चुनाव आयोग ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 को पोस्ट किया है, ताकि सामान्य जनता और राजनीतिक दलों को इस प्रावधान की महत्ता और प्रासंगिकता के बारे में जागरूक किया जा सके।

इस पूरे विवाद के बीच, राजनीतिक माहौल गर्माया हुआ है। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया राजनीतिक रूप से प्रेरित है और मतदाता सूची से नाम हटाने की कवायद से चुनावी स्वच्छता का नाम तो दूर, बल्कि चुनाव के माहौल को धुंधला करने की कोशिश की जा रही है। दूसरी ओर, चुनाव आयोग का दावा है कि सभी कदम कानूनी और संवैधानिक दायरे में हैं, और यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ हो रही है।

 

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