
सावन 2025 इस वर्ष 11 जुलाई से शुरू हो रहा है। सावन भगवान शिव की आराधना का सबसे पावन महीना माना जाता है। इस दौरान भक्त सोमवार व्रत रखते हैं, जलाभिषेक करते हैं और शिवालयों में दर्शन के लिए उमड़ते हैं। महाराष्ट्र, जो आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध राज्य है, यहां कई प्रसिद्ध शिव मंदिर स्थित हैं, जिनका उल्लेख धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में भी मिलता है।
महाराष्ट्र में स्थित शिव मंदिरों की विशेषता उनकी वास्तुकला, ज्योतिर्लिंगों की उपस्थिति, और शाश्वत आध्यात्मिक ऊर्जा है। आइए जानते हैं उन प्रमुख शिव मंदिरों के बारे में, जहां सावन में दर्शन करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है:
1. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, नासिक

- स्थान: गोदावरी नदी किनारे, त्र्यंबकेश्वर, नासिक
- विशेषता: यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भगवान शिव के “त्र्यम्बक” स्वरूप को समर्पित है।
- सावन में आकर्षण: भक्त भारी संख्या में दर्शन के लिए आते हैं, खासतौर पर सोमवार को विशेष पूजा होती है।
2. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, पुणे

- स्थान: सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला, पुणे के पास
- विशेषता: घने जंगलों में बसा यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम है।
- सावन में आकर्षण: वर्षा के मौसम में हरियाली और शिव पूजा का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
3. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, औरंगाबाद

- स्थान: एलोरा की गुफाओं के पास, औरंगाबाद
- विशेषता: यह 12वां और अंतिम ज्योतिर्लिंग है, जिसे भगवान शिव के अंतिम स्वरूप के रूप में पूजा जाता है।
- सावन में आकर्षण: सावन में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
4. औंढा नागनाथ ज्योतिर्लिंग, हिंगोली

- स्थान: हिंगोली ज़िला, नांदेड़ से लगभग 50 किमी दूर
- विशेषता: रामायण और महाभारत काल का उल्लेखित मंदिर; पांडवों ने की थी यहां शिव आराधना।
- सावन में आकर्षण: प्राचीन वास्तुकला और धर्मग्रंथों से जुड़ी कथाओं के कारण अत्यंत प्रसिद्ध।
5. परली वैजनाथ ज्योतिर्लिंग, बीड

- स्थान: परली, बीड ज़िला
- विशेषता: यहां भगवान शिव ने अमृत कलश स्थापित किया था; अमरत्व का प्रतीक।
- विशेष नियम: शिवलिंग पर प्रत्यक्ष जल नहीं चढ़ाया जाता, लेकिन बाहर से जल अर्पण की अनुमति है।
6. केदारेश्वर मंदिर, हरिश्चंद्रगढ़ किला, अहमदनगर

- स्थान: हरिश्चंद्रगढ़ किले में स्थित (ट्रेकिंग स्पॉट के रूप में भी प्रसिद्ध)
- विशेषता: मंदिर केवल एक स्तंभ पर टिका है, शेष तीन स्तंभ युगों के साथ समाप्त हो चुके हैं। मान्यता है कि अंतिम स्तंभ के गिरते ही कलियुग का अंत हो जाएगा।
- सावन में आकर्षण: लंबी कतारें, ट्रेकिंग और आस्था का संगम।














