बिहार में VIP से निकली VVIP… मुकेश सहनी से अलग होकर प्रदीप निषाद ने बनाई नई पार्टी

New Party VVIP Launched : बिहार में एक और विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं तो वहीं दूसरी ओर पार्टियां टूटकर नई पार्टियां जन्म ले रही हैं। गुरुवार को बिहार की राजनीति में एक और नई पार्टी का नाम जुड़ गया है। इस पार्टी का नाम विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP) है।

दरअसल, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) पार्टी से अलग होकर प्रदीप निषाद ने अपनी नई पार्टी विकास वंचित इंसान पार्टी (VVIP) बनाई है। इस पार्टी का उद्देश्य बिहार में वंचित वर्गों की आवाज बुलंद करना और समाज के विकास में भागीदारी सुनिश्चित करना है।

प्रदीप निषाद की VVIP का उद्देश्य

विकास वंचित इंसान पार्टी के लॉन्च के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप निषाद ने कहा कि उनका मकसद उन समाजों के विकास को केंद्र में लाना है, जो वर्षों से विकास की मुख्यधारा से वंचित रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस पार्टी का मुख्य संदेश है कि वर्तमान में बिहार में विकास तो हो रहा है, लेकिन वह समाज के वंचित वर्गों तक नहीं पहुंच रहा है। इसलिए, हमने यह पार्टी बनाई है ताकि इन वर्गों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई जा सके और उनके हितों का संरक्षण किया जा सके।

प्रदीप निषाद मल्लाह समाज से आते हैं और उत्तर प्रदेश के रहवासी हैं। वे पहले मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के करीबी रहे हैं, जो बिहार में महागठबंधन का हिस्सा है। लेकिन 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों के बीच दूरियां बढ़ गईं, जिसके बाद उन्होंने अलग राह अपनाई। अब बिहार विधानसभा चुनाव में खुद को सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए तैयार हैं, और उन्होंने अपनी नई पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

प्रदीप निषाद ने कहा कि उनका लक्ष्य है कि निषाद समाज की सभी उपजातियों को एक साथ लाकर उनके अधिकारों की रक्षा की जाए। उनका मानना है कि इससे समाज में समरसता और समानता आएगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी का उद्देश्य है कि निषाद समाज के विकास के साथ-साथ उनके सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को भी मजबूत किया जाए।

गौरतलब है कि, 2022 यूपी चुनाव के समय, प्रदीप निषाद मुकेश सहनी के काफी करीबी थे। लेकिन, एक मंच पर मुकेश सहनी के करीबी नेता के साथ विवाद के बाद दोनों के संबंध टूट गए। अब बिहार चुनाव में, प्रदीप निषाद मल्लाह जाति के वोटों को अपने पक्ष में लाने के लिए सक्रिय हैं। कहा जा रहा है कि वे अपने पुराने विवाद का बदला लेने और अपने समाज के वोट बैंक में सेंधमारी करने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या बिहार में बदलेंगे चुनावी समीकरण?

यह देखना अभी बाकी है कि प्रदीप निषाद की नई पार्टी बिहार में कितनी सफल होती है और मुकेश सहनी के वोट बैंक में कितनी सेंधमारी कर पाते हैं। खासतौर पर, जब मुकेश सहनी अपने ‘सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से जाति आधारित आरक्षण और वंचित वर्गों के लिए काम कर रहे हैं, तो प्रदीप निषाद का कदम कितना प्रभावी रहेगा, यह चुनाव परिणाम के साथ ही सामने आएगा।

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