
ब्रिटेन के प्रसिद्ध यूट्यूबर मैक्सिमिलियन ऑर्थर फॉश (Max Fosh) ने अपने नए वीडियो ‘I Technically Died’ में एक ऐसा तरीका अपनाया है जिसने सोशल मीडिया और डिजिटल दुनिया में काफी चर्चा बटोरी है। इस वीडियो में उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने एक फ्लाइट का टिकट बुक किया और रिफंड पाने के लिए एक असामान्य व कानूनी जुगाड़ का सहारा लिया।
फॉश ने बताया कि उन्होंने एक फ्लाइट का टिकट खरीदा, लेकिन यात्रा नहीं कर सके। रिफंड के लिए आवेदन करते समय, उन्हें पता चला कि एयरलाइन की पॉलिसी में एक खास क्लॉज है, जिसमें लिखा था कि यदि किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो उसे रिफंड मिल सकता है। इस नियम का फायदा उठाने के लिए, फॉश ने एक अनोखा कदम उठाया।
फॉश ने इटली के सेबोर्गा नामक माइक्रोनेशन का सहारा लिया, जो पूरी तरह से मान्यता प्राप्त देश नहीं है, लेकिन खुद को स्वतंत्र राष्ट्र मानता है। वहां पहुंचकर उन्होंने स्थानीय राजकुमारी नीना मेनेगाटो से मुलाकात की। इसके बाद, उन्होंने एक कथित डेथ सर्टिफिकेट हासिल किया, जो यह प्रमाणित करता था कि उन्होंने “मौत” प्राप्त कर ली है। इस तरह का सर्टिफिकेट उन्होंने उस क्षेत्र की परंपराओं और इतिहास को समझते हुए प्राप्त किया।
इस अर्जी को आधार बनाते हुए, फॉश ने एयरलाइन को रिफंड के लिए आवेदन भेजा। शुरुआत में, एयरलाइन ने आवेदन स्वीकार कर लिया और बैंक डिटेल्स मांगे। लेकिन, मामला यहीं पर रुक गया। जब फॉश ने इस पर अपने वकील से सलाह ली, तो वकील ने कहा कि यह कानूनी रूप से ठीक है, लेकिन यह “फ्रॉड” जैसा भी है। वकील ने साफ कहा कि यह फ्रॉड नहीं है, लेकिन ऐसा करने से नैतिक रूप से गलत है। अंततः, फॉश ने अपने वकील की सलाह मानते हुए करीब 50 डॉलर (लगभग 4000 रुपये) का रिफंड न लेने का फैसला किया।
यह घटना डिजिटल दुनिया और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बन गई है। लोगों ने इस तरह के जुगाड़ को मजाकिया और क्रिएटिव तो माना ही, साथ ही यह भी सवाल उठाए कि क्या ऐसे अनूठे तरीकों से कानूनी और नैतिक सीमा का परीक्षण किया जा सकता है। फॉश का यह कदम कई लोगों के बीच एक उदाहरण बन गया है कि कैसे रचनात्मकता और स्मार्टनेस के साथ आप कानूनी खामियों का फायदा उठा सकते हैं, लेकिन साथ ही नैतिक जिम्मेदारी भी जरूरी है।
मैक्सिमिलियन ऑर्थर फॉश का यह अनोखा अनुभव और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसने यह दिखाया कि डिजिटल युग में रचनात्मकता और स्मार्टनेस का कितना बड़ा प्रभाव हो सकता है। हालांकि, इस तरह के कदम कानूनी और नैतिक दोनों दृष्टिकोण से सवाल खड़े कर सकते हैं, और उन्हें सावधानीपूर्वक अपनाना जरूरी है।