
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की दो बिजली इकाईयों पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध को लेकर देशव्यापी प्रदर्शन किया गया। उत्तरप्रदेश में भी बिजली कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदेश के कई स्थानों पर बिजली कर्मचारियों के प्रदर्शन में किसानों समेत कई और संगठन भी बिजली कर्मचारियों की मांग के सर्मथन में शामिल हुए।
नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स के आह्वान पर बुधवार को देश के सभी प्रांतों के बिजली कर्मचारियों,जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओ ने बिजली के निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन किया। राजधानी लखनऊ में रेजिडेंसी और मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड पर हुए विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में संयुक्त किसान मोर्चा का बैनर लेकर किसान प्रदर्शन में सम्मिलित हुए। मध्यांचल में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के केन्द्रीय पदाधिकारियों ने निजीकरण का विरोध करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने विद्युत वितरण निगमों में घाटे के भ्रामक आंकड़ों देकर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय लिया है जिससे उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा व्याप्त है। बिजली कर्मी विगत 07 माह से लगातार आंदोलन कर रहे हैं किंतु अत्यंत खेद का विषय है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने आज तक एक बार भी उनसे वार्ता नहीं की। गलत पावर परचेज एग्रीमेंट के चलते विद्युत वितरण निगमों को निजी बिजली उत्पादन कंपनियों को बिना एक भी यूनिट बिजली खरीदे 6761 करोड रुपए का सालाना भुगतान करना पड़ रहा है। पूर्वांचल ,दक्षिणांचल में बुंदेलखंड के क्षेत्र में बेहद गरीब लोग रहते हैं। निजीकरण से उपभोक्ताओं की सब्सिडी समाप्त होने का अर्थ होगा कि उपभोक्ताओं को 10 से 12 रुपए प्रति यूनिट की दर पर बिजली खरीदनी पड़ेगी जो वे नहीं कर पाएंगे। संघर्ष समिति ने हैदराबाद, त्रिवेंद्रम, विजयवाड़ा, चेन्नई, बेंगलुरु, मुंबई, नागपुर, रायपुर में प्रदर्शन किए जाने का दावा किया।