
भोपाल। बुधवार को राजधानी भोपाल में आयोजित एक औपचारिक कार्यक्रम में हेमंत विजय खंडेलवाल ने मध्य प्रदेश भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, निवर्तमान अध्यक्ष वी.डी. शर्मा, और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। पार्टी ने सर्वसम्मति से खंडेलवाल के नाम पर मुहर लगाई, जिससे यह संदेश गया कि भाजपा ने एक बार फिर अनुशासन और एकजुटता को प्राथमिकता दी है।
सहज, सौम्य, संगठित नेतृत्व की ओर कदम
हेमंत खंडेलवाल की साफ-सुथरी छवि, आरएसएस से जुड़ाव, और सामान्य वर्ग से ताल्लुक ने उन्हें इस पद के लिए स्वाभाविक रूप से उपयुक्त बना दिया। उनके चयन को भाजपा के संगठनात्मक संतुलन और वैचारिक प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
खंडेलवाल का संबोधन: पार्टी ही परिवार, अनुशासन ही आत्मा
कार्यभार ग्रहण करने के बाद अपने भाषण में खंडेलवाल ने कहा:
“यह जिम्मेदारी अहम है। पार्टी ने हमेशा कार्यकर्ताओं की क्षमता के अनुरूप उन्हें सम्मान दिया है। भाजपा मेरे रग-रग में है। पार्टी से जो दाएं-बाएं होगा, उसको परेशानी होगी। सत्ता और संगठन साथ मिलकर काम करेंगे।”
उन्होंने नरेंद्र मोदी, अमित शाह, और जेपी नड्डा के नेतृत्व को आदर्श बताया और शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल को “मिथक तोड़ने वाला” करार दिया।
व्यक्तिगत और राजनीतिक पृष्ठभूमि
- जन्म: 1964, मथुरा
- शिक्षा: कानून स्नातक
- व्यवसाय: उद्योगपति
- पिता: स्व. विजय कुमार खंडेलवाल (भाजपा के वरिष्ठ नेता)
- राजनीति में प्रवेश: 2008 में पिता के निधन के बाद बैतूल से सांसद
- 2013 में विधायक, 2023 में फिर विधानसभा में वापसी
- कुल संपत्ति: ₹41 करोड़ से अधिक
- कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं
वी.डी. शर्मा को भावभीनी विदाई
खंडेलवाल के कार्यभार ग्रहण के साथ ही निवर्तमान अध्यक्ष वी.डी. शर्मा का कार्यकाल समाप्त हो गया। अपने पांच वर्षों से अधिक के कार्यकाल में शर्मा ने भाजपा को विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मजबूती दिलाई। पार्टी ने उनके योगदान को मंच से खुले दिल से सराहा।
राजनीतिक संकेत और संगठनात्मक संदेश
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि खंडेलवाल की नियुक्ति भाजपा में स्थिरता, संवाद, और नए ऊर्जा स्तर को स्थापित करने की दिशा में एक ठोस कदम है। अटकलों और गुटबाजी की चर्चाओं के बीच निर्विरोध चयन ने यह स्पष्ट किया कि पार्टी अब भी अपने वैचारिक अनुशासन और सांगठनिक अनुशासन को सर्वोपरि मानती है।
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