
संसद की सुरक्षा में सेंधमारी के चर्चित मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दो आरोपियों — नीलम आज़ाद और महेश कुमावत — को जमानत दे दी है। बुधवार को सुनाए गए फैसले में कोर्ट ने दोनों को राहत तो दी, लेकिन इसके साथ सख्त शर्तें भी लगाई हैं।
कोर्ट ने क्या कहा?
दिल्ली हाई कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर शामिल थे, ने नीलम और महेश को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतों के आधार पर जमानत दी है। साथ ही, कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि दोनों आरोपी मीडिया से बातचीत नहीं करेंगे और सोशल मीडिया पर किसी तरह की कोई पोस्ट नहीं करेंगे।
पुलिस ने जताई थी आपत्ति
दिल्ली पुलिस ने दोनों आरोपियों की जमानत याचिका का जोरदार विरोध किया था। पुलिस की दलील थी कि आरोपियों की मंशा 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले की भयावह यादों को ताजा करने जैसी थी। पुलिस ने मामले की गंभीरता और राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनकी जमानत का विरोध किया था।
पहले खारिज हुई थी जमानत याचिका
इससे पहले निचली अदालत ने भी नीलम और महेश की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद दोनों ने हाई कोर्ट का रुख किया था। हाई कोर्ट ने 21 मई को इस पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब सुनाया गया है।
घटना क्या थी?
यह मामला 13 दिसंबर 2023 का है, जब संसद भवन में सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए प्रदर्शनकारी लोकसभा के अंदर और बाहर सक्रिय हो गए थे। यह वही तारीख थी, जब 2001 के संसद हमले की बरसी मनाई जा रही थी।
- सदन के अंदर, दर्शक दीर्घा से सागर शर्मा और मनोरंजन डी ने कूदकर पीली गैस छोड़ी और जोरदार नारेबाजी की।
- सदन के बाहर, अमोल शिंदे और नीलम आज़ाद ने रंगीन गैस स्प्रे कर नारे लगाए।
- पुलिस ने बाद में इस साजिश के पीछे ललित झा और महेश कुमावत का नाम सामने आने पर उन्हें गिरफ्तार किया।
आगे क्या?
अब जबकि हाई कोर्ट से दो आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। मामले की जांच दिल्ली पुलिस कर रही है और आगे की सुनवाई में नए तथ्य सामने आ सकते हैं।