
शिमला/मंडी। हिमाचल प्रदेश में सोमवार रात आसमान से मौत बरसी। तेज बारिश, बादल फटना और भूस्खलन ने देखते ही देखते बस्तियों को तबाह कर दिया। नींद में डूबे लोगों पर मुसीबत कुछ इस तरह टूटी कि कई को जागने तक का मौका नहीं मिला। इस भीषण त्रासदी में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है, 33 लोग लापता हैं और दर्जनों घायल हुए हैं। मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, जहां अकेले 16 मौतें हुई हैं।
प्रदेश में कहां-कहां टूटा कहर?
- मंडी जिले में 15 जगह बादल फटे
- कुल्लू और किन्नौर में एक-एक स्थान पर बादल फटने की पुष्टि
- 332 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया
- अकेले मंडी में 24 मकान और 12 गोशालाएं जमींदोज, 30 पशुओं की मौत
- कुकलाह के पास पटीकरी हाइड्रो प्रोजेक्ट बह गया
- कई पुल और सड़कें ध्वस्त
करसोग क्षेत्र: तबाही का भयानक दृश्य

करसोग के पुराना बाजार, पंजराट, कुट्टी, सकरोल और बरल में भारी तबाही मची। रात 11 बजे से ही पानी आना शुरू हुआ, जो कुछ ही मिनटों में बाढ़ में बदल गया।
- कामेश्वर नामक ढाबा संचालक के तीन मकान और ढाबे बह गए, करीब 2 करोड़ रुपये का नुकसान
- कुट्टी में तेतू के अनुसार चट्टानों और मलबे ने गाड़ियाँ और दुकानें बहा दीं
- रिक्की गांव से 7 लोगों को रेस्क्यू
- भडारणू पंचायत के खेत बह गए, सड़कें मिट गईं
पंगलियुर गांव: पूरा गांव मलबे में समाया

गोहर उपमंडल की स्यांज पंचायत के पंगलियुर गांव में दो परिवारों के 9 लोग ज्यूणी खड्ड में समा गए। सुबह तक पूरा गांव मलबे और खामोशी में तब्दील हो चुका था।
- प्रशासन 12 घंटे देर से पहुंचा, NDRF और SDRF की टीमें सुबह 4 बजे के बाद आईं
- स्थानीय लोग खुद राहत कार्य में जुटे रहे
- स्यांज के पंचायत प्रधान ने प्रशासन की देरी पर सवाल उठाए
स्याठी गांव में तबाही की कहानी: ‘सब कुछ आंखों के सामने बह गया’
धनदेव, एक स्थानीय निवासी, ने बताया कि स्याठी गांव की अनुसूचित जाति की बस्ती पूरी तरह बर्बाद हो गई:
- 10 मकान, 12 गोशालाएं, दर्जनों पशु, लाखों का सामान मलबे में
- करीब 2-3 करोड़ का नुकसान
- लोगों ने स्कूल और मंदिर में शरण ली, सरकार से जमीन-मकान की मांग
प्रशासन और नेताओं का दौरा, फौरी राहत
- विधायक विनोद कुमार, कांग्रेस नेता नरेश चौहान, बैंक निदेशक लाल सिंह कौशल मौके पर पहुंचे
- प्रशासन ने प्रभावितों को ₹25,000 प्रति परिवार की राहत राशि दी
- भूपेंद्र सिंह और अधिकारियों ने प्रभावितों को राशन, तिरपाल, नकद राहत दी
शिल्हीबागी में मां-बेटा लापता, कई मकान ढहे

- तापे राम और उनकी मां भंती देवी भूस्खलन में दबे, तलाश जारी
- लाल सिंह का मकान पूरी तरह ध्वस्त
- बारिश ने बचाव कार्य में रुकावट डाली
“नंगे पांव भागे, अब कुछ नहीं बचा…”
एक महिला ने रोते हुए बताया:
“सब कुछ घर में रह गया। तन पर जो कपड़े थे वही बच पाए। अब सरकार से गुहार है कि जमीन और मकान दिया जाए, वरना कहां जाएंगे?”
जालपा माता मंदिर बना आश्रय स्थल
- सभी पीड़ितों को जालपा माता मंदिर स्याठी-त्रयांबला में आश्रय
- स्थानीय पंचायत और लोगों ने खाने-रहने का इंतज़ाम किया
- 2014 में भी इसी बस्ती में ल्हासा गिरा था, तब से लोग सुरक्षित स्थान की मांग कर रहे थे
सरकार से मांग: सिर्फ दौरे नहीं, ठोस कदम उठाने का समय
स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि अब केवल दौरे और आश्वासन से काम नहीं चलेगा। स्थायी पुनर्वास, सुरक्षित भूमि आवंटन, और आपदा प्रबंधन में तत्परता जरूरी है, ताकि भविष्य में इस तरह के हादसे न हों।
ये भी पढ़े – उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2024 : हरिद्वार को छोड़ 12 जिलों में नामांकन प्रक्रिया आज से शुरू, दो चरणों में होंगे चुनाव