
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। इस बार कांग्रेस समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में नहीं, बल्कि अकेले मैदान में उतरने की तैयारी में है। पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस इस चुनाव में अपने दम पर रणनीति बनाकर लड़ने का मन बना चुकी है और संगठनात्मक स्तर पर इसकी तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं।
संगठन को मजबूत करने में जुटी कांग्रेस
पार्टी ने हाल ही में 133 जिला व शहर अध्यक्षों की नियुक्ति की है, जबकि करीब 40 स्थानों पर कार्यकारिणी की भी घोषणा हो चुकी है। बाकी जिलों में भी जल्द ही कार्यकारिणी घोषित की जाएगी। कांग्रेस की योजना है कि तीन से सात जुलाई के बीच घोषित जिला और शहर इकाइयों का शपथ ग्रहण समारोह कराया जाए, जिसमें पार्टी के सांसद, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता शिरकत करेंगे।
इसके बाद विधानसभा क्षेत्र और ब्लॉक स्तरीय कमेटियों का गठन किया जाएगा और उनका भी शपथ ग्रहण कराया जाएगा। पार्टी का लक्ष्य है कि 15 अगस्त 2025 तक प्रदेश के सभी बूथ स्तर की कमेटियों का गठन पूरा कर लिया जाए ताकि पंचायत चुनाव से पहले मजबूत सांगठनिक ढांचा तैयार हो सके।
कांग्रेस न सिर्फ संगठन को मज़बूत कर रही है, बल्कि जनहित के मुद्दों पर सड़कों पर उतरकर आंदोलन भी कर रही है, ताकि ग्रामीण और स्थानीय स्तर पर जनता से सीधा जुड़ाव हो सके।
आज़ाद समाज पार्टी भी मैदान में, मंडल प्रभारी को मिले निर्देश
दूसरी ओर, आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) भी पंचायत चुनाव को लेकर पूरी तैयारी में जुट गई है। मंगलवार को लखनऊ के इंदिरानगर स्थित पार्टी कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार चित्तौड़ की अध्यक्षता में एक अहम बैठक हुई, जिसमें संगठन के विस्तार और चुनावी रणनीति पर चर्चा हुई।
प्रदेश अध्यक्ष ने सभी मंडल प्रभारियों और भाईचारा कमेटी के पदाधिकारियों को निर्देश दिए कि वे जल्द से जल्द वार्ड स्तर तक संगठन को मजबूत करें और गांव-गांव जाकर जनसंपर्क करें। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे अभियान चलाकर ज्यादा से ज्यादा बुद्धिजीवियों को पार्टी से जोड़ें और हर क्षेत्र में भाईचारा कमेटियों का गठन करें।
इसके अलावा, उन्होंने कार्यकर्ताओं को प्रयागराज जैसी संवेदनशील घटनाओं पर बयान देने से परहेज करने और पार्टी की नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।












