
Basti: अंग्रेजों के जमाने में खुला डाकघर दुबौलिया बाजार एक कोठरी में सिमटा न केवल अपने हाल पर आंसू बहा रहा है बल्कि क्षेत्रीय जनता के लिए निरर्थक साबित हो रहा है।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार 1902 में दुबौलिया बाजार में एक पोस्ट आफिस खुली तब से विभागीय उदासीनता के कारण एक जनोपयोगी डाकघर के रूप में स्थापित नहीं हो सका ।1960 के दशक में दुबौलिया बाजार निवासी श्रीराम गुप्ता पोस्टमास्टर के पद पर नियुक्त हो कर अपने घर में डाकखाना चलाना शुरू किये उस समय अतिरिक्त विभागीय डाकघर की मान्यता रही जो श्रीराम गुप्ता के रिटायर होने पर पोस्टमास्टर के रुप में तैनात बांकेबिहारी सिंह के कार्यकाल तक अतिरिक्त विभागीय डाकघर के रुप में संचालित रहा लेकिन वर्तमान पोस्टमास्टर देवेन्द्र सिंह के कार्यभार ग्रहण करने के कुछ वर्षों बाद इसे शाखा डाकघर बना दिया जिससे पोस्ट आफिस से मिलने वाली तमाम योजनाओं का लाभ क्षेत्रीय जनता को नहीं मिल रहा है।
मौजूदा समय में दुबौलिया के नाम से थाना, ब्लाक ,अस्पताल दर्जनों स्कूल तीन बैंक सहित अनेक सरकारी कार्यालय खुल चुके हैं लेकिन एक कोठरी में स्थापित डाकघर का अपग्रेडेशन नहीं हो सका जिससे पोस्टल आर्डर एन एस सी, पी एफ जैसी अनेक योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है ।इसके लिए दूसरे डाकघरों में लोगों को जाना पड़ता है। इस सम्बन्ध में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता बाबूराम सिंह ने दुबौलिया बाजार डाकघर को उप डाकघर के रुप में विकसित करने की मांग की है जिससे डाकघरों के माध्यम से मिलने वाली सारी सुविधाएं क्षेत्रीय जनता को मिल सके।
ये भी पढ़ें:
भारत की निगरानी शक्ति को मिलेगा अंतरिक्ष से बल : ऑपरेशन सिंदूर के बाद 52 उपग्रहों का मिशन तेज़
https://bhaskardigital.com/indias-surveillance-power-will-get-a-boost-from-space-mission-of-52-satellites-accelerates-after-operation-sindoor/
लिव-इन : गर्लफ्रेंड की सैलरी से जलता था, हत्या कर दो दिन तक शव के साथ सोता रहा हत्यारा प्रेमी
https://bhaskardigital.com/live-in-jealous-girlfriend-salary-killer-boyfriend-murder-slept-with-body/