
शिमला : हिमाचल प्रदेश में इस बार मानसून तय समय से पहले ही तबाही लेकर आया है। आमतौर पर जुलाई-अगस्त में सक्रिय रहने वाला मानसून इस वर्ष 20 जून को ही प्रदेश में पहुंच गया और महज नौ दिनों में ही राज्य में जनजीवन को गंभीर क्षति पहुंचाई है। भारी बारिश के चलते जहां अनेक जगह भूस्खलन और जलभराव की घटनाएं सामने आईं, वहीं मानव जीवन और बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान हुआ है।
राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 20 जून से 29 जून तक बारिश जनित घटनाओं में 39 लोगों की मौत हुई है जबकि 81 लोग घायल हुए हैं। इस अवधि में चार लोग लापता भी बताए गए हैं। हादसों में सबसे अधिक जानें सड़क दुर्घटनाओं में गई हैं, जिनकी संख्या 19 है। इसके अलावा अचानक आई बाढ़ में 7, तेज बहाव में बहने से 6, पहाड़ी से गिरने से 3, बिजली लगने से 2, सांप के काटने से 1 और अन्य कारणों से एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है।
सबसे अधिक प्रभावित जिला कांगड़ा रहा, जहां बाढ़ और बहाव की घटनाओं में 8 लोगों की जान गई। प्राकृतिक आपदा का असर केवल मानव जीवन पर ही नहीं, पशुधन और संपत्ति पर भी पड़ा है। 49 मवेशियों की मौत हुई है, जबकि 8 मकान पूरी तरह और 13 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। 8 दुकानें, 12 गौशालाएं और एक पारंपरिक घराट भी मलबे में तब्दील हो चुके हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार जलशक्ति विभाग को 38.56 करोड़ और लोक निर्माण विभाग को 34.72 करोड़ रुपये की क्षति हुई है। इस प्रकार अब तक राज्य में कुल 75.09 करोड़ रुपये की सरकारी और निजी संपत्ति बर्बाद हो चुकी है।
इस बीच मौसम विभाग ने चेताया है कि खतरा अभी टला नहीं है। शिमला स्थित मौसम विज्ञान केंद्र ने आगामी छह जुलाई तक राज्य के अधिकतर हिस्सों में भारी वर्षा का अलर्ट जारी किया है।
इस बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि राहत और पुनर्वास कार्यों को प्राथमिकता दी जाए और प्रभावितों की सहायता में कोई कोताही न बरती जाए। सरकार की ओर से लोगों की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए हरसंभव प्रयास जारी हैं।