
छतरपुर/मुंबई : बागेश्वर धाम के मुखिया पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री 25 दिन की विदेश यात्रा पूरी कर स्वदेश लौट आए हैं। फिलहाल वे मुंबई के भिवंडी स्थित बागेश्वर सनातन मठ में हैं, जहां तीन दिवसीय दिव्य दरबार का आयोजन किया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया, फिजी और न्यूजीलैंड जैसे देशों से लौटने के बाद बाबा बागेश्वर ने एक वीडियो संदेश के माध्यम से इटावा की कथावाचक घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी और इसे ‘बेहद विचित्र और निंदनीय’ बताया
भक्तों ने किया जोरदार स्वागत
धीरेंद्र शास्त्री शुक्रवार सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे, जहां से वे हवाई मार्ग से मुंबई गए। यहां भक्तों ने भव्य स्वागत किया। मुंबई में 3 दिन तक उनका दिव्य दरबार सजेगा, जिसमें वे भक्तों को अभिमंत्रित भभूत प्रदान करेंगे और धार्मिक संदेश देंगे।
इटावा की घटना पर तीखी प्रतिक्रिया
वीडियो संदेश में बाबा बागेश्वर ने कहा:
“हमारी विदेश यात्रा के दौरान भारत में कई घटनाएं हुईं, लेकिन इटावा की घटना बेहद विचित्र और दुखद है। भगवान की कथा कहना और सुनना जाति से परे है, यह हर किसी का अधिकार है।”
उन्होंने महर्षि वाल्मीकि, मीरा, सूरदास, कबीर, रैदास जैसे संतों का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान के भक्तों की पहचान उनकी जाति से नहीं, उनके ज्ञान और भक्ति से होती है।
“जाति पूछो मत, ज्ञान पूछो” – बाबा बागेश्वर
“कौआ कर्कश बोलता है, लेकिन रामचरितमानस में काकभुशुंडी को महात्मा कहा गया है। इसलिए ‘जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान’। तलवार की कीमत होती है, म्यान की नहीं।”
उन्होंने इस संदर्भ में स्पष्ट कहा कि सनातन धर्म किसी जाति विशेष का नहीं, बल्कि हर श्रद्धालु का है।
“न्याय जनता नहीं, न्यायपालिका दे”
बाबा बागेश्वर ने इटावा में कथावाचक के साथ हुई अभद्रता को लेकर कहा:
“अगर किसी से गलती हुई है, तो कानून और न्यायपालिका उसका समाधान करें, जनता को न्यायाधीश बनने का अधिकार नहीं। इससे समाज में विद्रोह और जातिवाद बढ़ता है।”
राजनेताओं को चेतावनी – “जाति की राजनीति बंद करें”
उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक दलों को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा:
“आज कुछ नेता जातिवाद की आग में अपनी राजनीति सेंक रहे हैं। उन्हें देश की एकता और सनातन संस्कृति को ध्यान में रखना चाहिए।”
हिंदू जागरण के लिए करेंगे पदयात्रा
भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के अपने संकल्प को दोहराते हुए बाबा बागेश्वर ने घोषणा की:
“हम आगामी 7 नवंबर से 16 नवंबर तक दिल्ली से वृंदावन तक पदयात्रा करेंगे। गांव-गांव, गली-गली जाकर जातिवाद, छूआछूत और भेदभाव के खिलाफ हिंदुओं को जागरूक करेंगे।”
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