
एक समय था जब चारों ओर “कांटा लगा, हाय लगा” गाना गूंजता था और इस गाने की अभिनेत्री शेफाली जरीवाला को घर-घर में पहचान मिल गई थी। लेकिन अब एक दुखद खबर सामने आई है। 42 वर्ष की उम्र में शेफाली जरीवाला ने मुंबई में अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि उनकी मौत कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई।

यह पहला मामला नहीं है। बॉलीवुड में कई ऐसे कलाकार हैं, जो इस अचानक आने वाली स्थिति का शिकार हो चुके हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि Cardiac Arrest क्या होता है, इसके जोखिम क्या हैं और यह हार्ट अटैक से कैसे अलग है।
क्या होता है Cardiac Arrest?
कार्डियक अरेस्ट एक मेडिकल इमरजेंसी है। यह तब होता है जब दिल की धड़कनें अचानक रुक जाती हैं। इस स्थिति में दिल शरीर को खून पंप करना बंद कर देता है, जिससे कुछ ही मिनटों में व्यक्ति बेहोश हो सकता है और सांस लेना बंद कर देता है। अगर समय रहते मरीज को CPR (Cardiopulmonary Resuscitation) या डिफिब्रिलेटर से झटका न दिया जाए, तो मौत हो सकती है।
Cardiac Arrest के मुख्य Risk Factors
Cleveland Clinic के अनुसार कार्डियक अरेस्ट के कई जोखिम कारक होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- कोरोनरी आर्टरी डिजीज – जब दिल की धमनियों में रुकावट आ जाती है।
- हार्ट अटैक का इतिहास – पहले हार्ट अटैक आना जोखिम बढ़ा देता है।
- कार्डियोमायोपैथी – दिल की मांसपेशियों में समस्या होना।
- हाई ब्लड प्रेशर या हाई कोलेस्ट्रॉल
- जन्मजात दिल की बीमारियां
- बिजली का झटका लगना
- ड्रग्स या अत्यधिक अल्कोहल का सेवन
- पोटैशियम या मैग्नीशियम की कमी
- अत्यधिक मानसिक तनाव या डर
Cardiac Arrest और Heart Attack में क्या फर्क है?
बिंदु | Cardiac Arrest | Heart Attack |
---|---|---|
प्रभाव | दिल की धड़कनें रुक जाती हैं | दिल की मांसपेशियों को खून नहीं मिलता |
लक्षण | बेहोशी, सांस न आना, पल्स गायब | सीने में दर्द, पसीना, सांस फूलना |
कारण | इलेक्ट्रिकल डिस्टरबेंस | आर्टरी में ब्लॉकेज |
मृत्यु जोखिम | तुरंत मौत हो सकती है | समय पर इलाज से बचाव संभव |
कितना खतरनाक है Cardiac Arrest?
कार्डियक अरेस्ट बेहद जानलेवा है। 50% से ज्यादा मामलों में मरीज की मौत अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो जाती है। शेफाली जरीवाला के साथ भी यही हुआ। लेकिन अगर पहले 3–5 मिनट में CPR और डिफिब्रिलेटर का उपयोग कर लिया जाए, तो जान बचाई जा सकती है।
बचाव कैसे करें?
- नियमित रूप से दिल की जांच करवाएं।
- हाई ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखें।
- धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएं।
- स्वस्थ और संतुलित आहार लें।
- नियमित व्यायाम करें और तनाव प्रबंधन अपनाएं।
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