
- पूरनपुर में खुलेआम चल रही साठा धान की खरीद फरोख्त, प्रशासन बना मूकदर्शक
पीलीभीत। जिले में प्रतिबंधित साठाधान की खरीद पर स्पष्ट आदेश होने के बावजूद पूरनपुर क्षेत्र की कई राइस मिलों में इस धान की सीधी खरीद बेधड़क जारी है। राइस मिल मालिक सरकारी निर्देशों को दरकिनार कर खुलेआम कानून तोड़ रहे हैं। इस पूरे मामले में प्रशासन की भूमिका को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
जिला कृषि अधिकारी और तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा जारी एक स्पष्ट आदेश में यह लिखा गया था कि कोई भी राइस मिल संचालक प्रतिबंधित साठाधान की खरीद नहीं करेगा। आदेश में यह भी कहा गया था कि यदि कोई मिल ऐसा करता पाया गया तो उसका लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द किए जायेंगे। लेकिन आदेश के बावजूद पूरनपुर क्षेत्र में साठाधान की खरीद चोरी-छिपे नहीं, बल्कि खुलेआम हो रही है।

किसान ट्रैक्टर-ट्रालियों में साठाधान लादकर सीधे राइस मिलों तक पहुंच रहे हैं। वहां बिना किसी भय के सीधे सौदा हो रहा है। जिन मिलों पर रोक होनी चाहिए थी, वहीं अब साठाधान की ढुलाई और खरीद का केंद्र बन चुके हैं। प्रशासन की ओर से न कोई जांच की जा रही है, न ही किसी प्रकार की सख्ती दिखाई जा रही है।
यह स्थिति दर्शाती है कि या तो प्रशासन जानबूझकर आंखें मूंदे हुए है, या फिर साठा धान के इस अवैध कारोबार में कहीं न कहीं कोई मिलीभगत है। यह भी देखने में आ रहा है कि जिन किसानों को अपनी मेहनत की फसल बेचने में मुश्किलें आ रही थीं, वे अब राइस मिल मालिकों के नियमों पर मजबूरी में बिक रहे हैं। प्रशासनिक अनदेखी ने इन मिल मालिकों को खुली छूट दे दी है कि वे चाहे जैसे और जब चाहे, खरीद करें। प्रशासनिक आदेशों की सार्वजनिक अवहेलना के बावजूद अब तक किसी भी मिल संचालक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। न तो किसी का लाइसेंस निरस्त हुआ, न ही किसी मिल पर कार्यवाही की गई। इससे यह साफ संकेत मिल रहा है कि साठाधान की खरीद को कहीं न कहीं भीतरखाने से समर्थन प्राप्त है।
छोटे – मझोले किसान मायूस
किसानों का कहना है कि जब नियम हैं, आदेश हैं, तो फिर पालन क्यों नहीं हो रहा? यदि एक आम आदमी आदेश की अनदेखी करता है तो उस पर तुरन्त कार्रवाई होती है, लेकिन यहां बड़े मिल संचालक खुलेआम नियम तोड़ रहे हैं और प्रशासन खामोश है। पूरनपुर के हालात ये बता रहे हैं कि आदेश केवल फाइलों तक सीमित हैं। जमीन पर न तो कोई रोक है, न ही जवाबदेही। राइस मिल मालिक मनमानी कर रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस मामले में पूरी तरह निष्क्रिय है, या फिर कुछ अधिकारी इस खेल में शामिल हैं? जब पूरे क्षेत्र में साठाधान की आवाजाही हो रही है, खरीद हो रही है, तो फिर जिम्मेदार अफसरों को यह सब क्यों नहीं दिख रहा है।
स्थानीय अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
पूरनपुर में प्रतिबंधित साठाधान की खुली खरीद के बीच स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की चुप्पी और निष्क्रियता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। जब आदेश पहले से जारी थे, मिलों पर खरीद जारी है और यह गतिविधि सार्वजनिक रूप से हो रही है, तो फिर जिम्मेदार अफसर अब तक मौन क्यों हैं? न कोई निरीक्षण, न छापा, न कार्रवाई — यह स्थिति संकेत देती है कि कहीं न कहीं स्थानीय अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है, या फिर जानबूझकर कार्रवाई से परहेज़ किया जा रहा है।
बड़े फार्मरों के आगे अधिकारी नतमस्तक
भूजल संरक्षण को ध्यान में रखते हुए किसानों को साठा धान की बुआई से मना किया गया था, और इसका पालन कराने के लिए छोटे किसानों पर लगातार दबाव भी बनाया गया। कई जगह फसल नष्ट करने की चेतावनियां दी गईं, तो कहीं पर जांच टीमें भेजकर कार्रवाई का डर दिखाया गया। लेकिन दूसरी ओर, बड़े-बड़े फार्मरों और रसूखदार लोगों ने खुलेआम प्रशासनिक आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए प्रतिबंधित साठाधान की खेती की और किसी ने उन्हें रोकने की हिम्मत नहीं की। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या ? भूजल नीति सिर्फ गरीब और सीमांत किसानों के लिए है, जबकि बड़े फॉर्मर और प्रभावशाली लोगों को इससे छूट मिली हुई है।
पीलीभीत जिला कृषि अधिकारी नरेंद्र पाल, “जिलाधिकारी का सख्त आदेश है कि नियम विरुद्ध कोई काम ना किया जाए, अगर प्रतिबंधित धान खरीद की पुष्टि होती है तो राइस मिलर के खिलाफ निश्चित कार्रवाई की जाएगी।”