
मुरादाबाद: 27 जून 2025: क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) मुरादाबाद में ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के नाम पर भ्रष्टाचार और आम जनता के उत्पीड़न के गंभीर आरोप सामने आए हैं। स्थानीय लोगों और भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि संविदा कर्मी और दलाल मिलकर एक संगठित गिरोह चला रहे हैं, जो बिना 5,000 रुपये की रिश्वत लिए ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बनने देता। ग्रामीण और किसान, जो देहात से लाइसेंस बनवाने आते हैं, विशेष रूप से इस भ्रष्टाचार का शिकार हो रहे हैं।
रिश्वतखोरी और उत्पीड़न का खेल
सूत्रों के अनुसार, RTO में संविदा कर्मियों और दलालों का एक समूह सक्रिय है, जो ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करने वालों से 5,000 रुपये की मांग करता है। यदि आवेदक स्वयं आवेदन करता है और रिश्वत देने से इनकार करता है, तो उसकी फाइल को निरस्त कर दिया जाता है और उसे बार-बार चक्कर लगवाए जाते हैं। विशेष रूप से ग्रामीण और किसानों को निशाना बनाया जा रहा है, जो विरोध करने में असमर्थ होते हैं।
एक हालिया मामले में, बिलारी ब्लॉक के अभनपुर मणि गांव के निवासी और भारतीय किसान यूनियन के युवा उपाध्यक्ष ने बताया कि उनके भाई के ड्राइविंग लाइसेंस के लिए पहले आवेदन निरस्त किया गया और फिर 5,000 रुपये की मांग की गई। इस तरह के उत्पीड़न की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
संविदा कर्मियों पर राजनीतिक संरक्षण का आरोप
आरोप है कि कई संविदा कर्मी पिछले 10-12 साल से मुरादाबाद RTO में जमे हुए हैं और उनका स्थानांतरण नहीं किया गया है। नियमानुसार, संविदा कर्मियों का नियमित अंतराल पर स्थानांतरण होना चाहिए, लेकिन कथित तौर पर राजनीतिक संरक्षण और सांठगांठ के चलते ये कर्मी अपनी मनमानी चला रहे हैं। स्थानीय लोगों ने एक संविदा कर्मी, जिसे ‘#रिंकू’ के नाम से जाना जाता है, को इस गिरोह का सरगना बताया है।
ड्राइविंग टेस्ट में अनियमितताएं
सूत्रों ने खुलासा किया है कि RTO में प्रतिदिन ड्राइविंग टेस्ट के लिए 240 स्लॉट आवंटित किए जाते हैं, जिसमें 30 हैवी लाइसेंस शामिल हैं। कार्यालय का समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक (420 मिनट) है। यदि एक टेस्ट में औसतन 5 मिनट लगते हैं, तो अधिकतम 100 टेस्ट ही संभव हैं। फिर भी, 240 लाइसेंस बनाए जा रहे हैं, जो प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा करता है
मारपीट और गलत व्यवहार की शिकायतें
पिछले कुछ समय से संविदा कर्मियों पर लाइसेंस बनवाने आए लोगों के साथ मारपीट और जनप्रतिनिधियों के साथ गलत व्यवहार के आरोप भी लग रहे हैं। इसके बावजूद, विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। सवाल उठता है कि आखिर क्यों अधिकारियों ने इस भ्रष्टाचार पर चुप्पी साध रखी है?
संपत्ति जांच और आंदोलन की मांग
स्थानीय लोगों और भारतीय किसान यूनियन ने मांग की है कि संविदा कर्मियों की आय और संपत्ति की जांच की जाए। साथ ही, उनके कार्यालय आने-जाने के समय और बिना सूचना के कार्य करने की प्रक्रिया की भी जांच हो। यदि इन मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो 30 जून 2025 को मुरादाबाद RTO के सामने अनिश्चितकालीन धरना देने की चेतावनी दी गई है।
भारतीय किसान यूनियन ने सभी प्रभावित लोगों से अपील की है कि वे इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएं और अपने अनुभव साझा करें। यूनियन ने सुझाव दिया है कि इस मुद्दे को लेकर एक ज्ञापन सौंपा जाए और भ्रष्ट कर्मियों को हटाने के साथ-साथ उनकी संपत्ति की जांच की जाए।
मुरादाबाद RTO में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के ये आरोप गंभीर हैं और तत्काल जांच की मांग करते हैं। यह न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है, बल्कि आम जनता, खासकर ग्रामीणों और किसानों के प्रति उत्पीड़न को भी उजागर करता है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मुद्दा और गंभीर रूप ले सकता है।
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