
रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम को गुजरात हाईकोर्ट से एक बार फिर राहत मिली है। कोर्ट ने उसकी अस्थायी ज़मानत की अवधि 7 जुलाई 2025 तक के लिए बढ़ा दी है। इससे पहले उसे 28 मार्च को तीन महीने की अस्थायी ज़मानत दी गई थी, जिसकी मियाद 30 जून को खत्म हो रही थी।
कोर्ट में क्या हुआ?
गुजरात हाईकोर्ट की जस्टिस इलेश वोरा और जस्टिस संदीप भट्ट की खंडपीठ ने शुक्रवार (27 जून) को इस याचिका पर सुनवाई की। आसाराम के वकील ने कुछ तकनीकी कारणों से दस्तावेज़ दाखिल करने में विलंब का हवाला देते हुए ज़मानत अवधि बढ़ाने की मांग की थी।
वकील ने कोर्ट को बताया कि 28 मार्च को मिली जमानत के बाद जोधपुर हाईकोर्ट से रिहाई का आदेश मिलने में 10 दिन लग गए, और आसाराम को 7 अप्रैल को रिहा किया गया। इसी कारण जरूरी दस्तावेज कोर्ट में जमा नहीं हो सके।
कोर्ट का आदेश
अदालत ने कहा,
“मौजूदा मामले की परिस्थितियों को देखते हुए, खासकर नालसा (राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण) से प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए, अस्थायी ज़मानत की अवधि 7 जुलाई तक बढ़ाई जाती है।”
कोर्ट ने साथ ही कहा कि अगली सुनवाई 2 जुलाई को होगी।
क्या है मामला?
आसाराम दो अलग-अलग रेप केस में उम्रकैद की सजा काट रहा है।
- गांधीनगर की अदालत ने जनवरी 2023 में एक महिला अनुयायी के साथ बार-बार बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया और उम्रकैद सुनाई थी। यह घटनाएं 2001 से 2006 के बीच की थीं।
- इससे पहले, राजस्थान के जोधपुर में भी 2013 में नाबालिग लड़की से रेप के मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है।
ज़मानत क्यों मिली?
- आसाराम की उम्र 86 साल है और वह स्वास्थ्य कारणों के आधार पर जमानत पर है।
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम ज़मानत 31 मार्च को खत्म हो रही थी, जिसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने 28 मार्च को 3 महीने की अस्थायी ज़मानत दी थी।
- उस पर जारी मतभेद के कारण मामला तीसरे जज के पास गया था, जिन्होंने ज़मानत के पक्ष में फैसला सुनाया।