लखनऊ : फर्जी पहचान, विदेशी महिलाएं और सेक्स रैकेट, बार-बार निजी पार्ट की सर्जरी कराने वाली लोला कौन?

लखनऊ में उज्बेकिस्तान और थाईलैंड की युवतियों के जरिए चल रहे एक अंतरराष्ट्रीय सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ पुलिस ने 21 जून को किया, जिससे एक संगठित और खतरनाक नेटवर्क की परतें खुलने लगीं. इस रैकेट की सरगना, लोला कायुमोवा खुद को एनआरआई बताकर स्थानीय पहचान पत्र बनवाने में भी सफल रही. जांच में पता चला कि उसकी उम्र 49 साल है लेकिन उसने 29 साल की दिखने के लिए चेहरे, होठों, अंडरआर्म्स और यहां तक कि प्राइवेट पार्ट की भी सर्जरी कराई. वह सात बार प्राइवेट पार्ट की सर्जरी करवा चुकी है. ये सभी सर्जरी लखनऊ के ही एक डॉक्टर ने की जो इस सेक्स रैकेट का आरोपी है.

मामला तब खुला जब हजरतगंज स्थित ओमेक्स अपार्टमेंट में रेड के दौरान उज्बेकिस्तान की दो युवतियों होलिडा और नीलोफर को पकड़ा गया. ये दोनों डॉ. विवेक गुप्ता के नाम दर्ज फ्लैट में रह रही थीं, जो मिनर्वा क्लिनिक में प्लास्टिक सर्जन हैं. इसी डॉक्टर ने लोला की सर्जरी की थी. जांच में सामने आया कि युवतियों को जवान और आकर्षक दिखाने के लिए चेहरे, होठ और अंडरआर्म्स की सर्जरी करवाई जाती थी, ताकि वे ‘रशियन लुक’ में दिखाई दें. 

भारत कैसे आई लोला?

उज्बेकिस्तान की रहने वाली लोला 2013 में नेपाल के रास्ते भारत आई थी और दिल्ली-एनसीआर में एजेंट्स के जरिए सेक्स रैकेट से जुड़ी. फिर लखनऊ में त्रिजिन उर्फ अर्जुन नामक कथित पत्रकार की मदद से अपना नेटवर्क फैलाया. त्रिजिन, जो खुद को मीडिया से जोड़कर पेश करता था, सेक्स सर्विस और विदेशी लड़कियों की आवास व्यवस्था देखता था. पुलिस का मानना है कि दोनों का साथ एक लिव-इन रिलेशनशिप में बदल गया और अपार्टमेंट में चल रहा यह धंधा तेजी से बड़ा होता गया.

कैसे पहले क्‍लाइंट और‍ फिर एजेंट बन गया डॉक्‍टर?

लोला और डॉ. विवेक गुप्ता की मुलाकात थाईलैंड में हुई थी, जहां से उनके रिश्ते की शुरुआत मानी जा रही है. बाद में लखनऊ में डॉ. गुप्ता ने न सिर्फ लोला बल्कि अन्य युवतियों की प्लास्टिक सर्जरी भी की. डॉक्टर खुद भी क्लाइंट के तौर पर शामिल था और लड़कियों के लिए कस्टमर लाने का काम करता था. क्लिनिक की साजिश में स्टाफ की भूमिका की भी जांच की जा रही है.

त्रिजिन को पति बताकर बनवाए फर्जी कागजात

लोला ने त्रिजिन को पति बताकर लखनऊ में आधार कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया. इन कागज़ों में उसने खुद को प्रवासी भारतीय (NRI) दिखाया और पिता का नाम भी बदलवा दिया. उसका ड्राइविंग लाइसेंस 2025 में बना और 2035 तक वैध है. इससे पुलिस को अंदेशा है कि इस नेटवर्क को स्थानीय प्रशासन में भी किसी स्तर पर सहयोग मिला है.

10,000 तक होता था सर्विस चार्ज

लोला और त्रिजिन ने ओमेक्स आर-1 में दो फ्लैट- 104 और 1103 खरीदे थे. एक में दोनों रहते थे, दूसरे में लड़कियों को रखा जाता और वहीं से मसाज पार्लर की आड़ में सेक्स सर्विस चलाई जाती थी. पुलिस को जानकारी मिली है कि एक बार की सर्विस के लिए 3,200 से 10,000 रुपए तक वसूले जाते थे. इस रकम का बड़ा हिस्सा लोला को कमीशन के रूप में मिलता था.

दो लड़कियों को किया जाएगा डिपोर्ट

डीसीपी निपुण अग्रवाल के अनुसार, होलिडा और नीलोफर को डिपोर्ट किया जाएगा. उनके बयान दर्ज हो चुके हैं और संबंधित एजेंसियों से पूछताछ चल रही है. डॉ. विवेक और त्रिजिन फरार हैं और उनके खिलाफ FIR दर्ज हो चुकी है. विवेक के स्टाफ ने उसे पारिवारिक कारणों से बाहर बताया है, लेकिन छापे के बाद से वह क्लिनिक में नहीं दिखा.

1000 से ज्यादा विदेशी महिलाएं करती हैं काम

पुलिस के मुताबिक लखनऊ में 1000 से अधिक विदेशी महिलाएं स्पा और बार में काम कर रही हैं. इन्हें लाने वाले एजेंट एफआरआरओ को जानकारी नहीं देते और न ही फॉर्म-सी भरते हैं. इससे न सिर्फ विदेशी कानूनों का उल्लंघन होता है, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों का इंटेलिजेंस तंत्र भी कटघरे में खड़ा होता है. इस पूरे कांड ने दिखा दिया कि कैसे एक संगठित रैकेट प्लास्टिक सर्जरी, झूठी पहचान और प्रशासनिक चुप्पी के सहारे फल-फूल रहा था.

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