मनरेगा : आख्या लगने से पहले ही बदल जाते जांच अधिकारी, अधर में फंसी जांच !

अंकुर त्यागी

बड़े सवाल

  • किस कारण तीन महीने से नहीं पूरी हो पाईं जांच ?
  • क्या अधिकारियों की संलिप्तता है देरी की वजह ?
  • क्या भ्रष्टाचार की अनदेखी कर रहा है विभाग

लखनऊ। हरदोई जिले के विकास खंड हरियावां की ग्राम पंचायत अरवा गजाधरपुर में मनरेगा योजना में भारी गड़बड़ी की शिकायतों के बाद भी जांच की प्रक्रिया पिछले तीन महीने से अधर में लटकी हुई है। अब तक दो बार जांच अधिकारी बदले जा चुके हैं, लेकिन रिपोर्ट आज तक प्रस्तुत नहीं की गई है।

सूत्रों के मुताबिक, वर्ष 2021-22 से 2024-25 के बीच एक ही कार्य को अलग-अलग नामों से दिखाकर 50 से 70 लाख रुपये तक की अनियमितता की शिकायत उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से की गई थी। मामले को गंभीरता से लेते हुए ग्राम्य विकास विभाग ने मुख्यालय स्तर से मनरेगा के संयुक्त आयुक्त संत कुमार को जांच अधिकारी नियुक्त किया था, लेकिन उनका तबादला हो जाने के बाद जांच ठंडे बस्ते में चली गई।

कुछ समय पूर्व जब दैनिक भास्कर ने यह मामला ग्राम्य विकास आयुक्त जी.एस. प्रियदर्शी के संज्ञान में लाया तो उन्होंने पुनः फाइल तलब कर 2 जून को सहायक आयुक्त ग्राम्य विकास (एसआईआरडी) सरिता सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त कर 15 दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

हालांकि, 19 जून को जब सरिता सिंह को हरदोई जाकर मौके का निरीक्षण और दस्तावेजों की जांच करनी थी, उसी दिन उनका स्थान जांच अधिकारी पद से हटा दिया गया और उनकी जगह प्रियंवदा यादव को नया जांच अधिकारी बना दिया गया।

जानकारों की मानें तो प्रारंभिक जांच में ग्राम प्रधान, सचिव, तकनीकी सहायक और महिला मेट की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। जांच की पारदर्शिता पर सवाल खड़े तब होने लगे जब लगातार जांच अधिकारियों को बदला गया और जांच रिपोर्ट को लेकर कोई स्पष्टता सामने नहीं आई।

वहीं, जब ग्राम्य विकास आयुक्त जी.एस. प्रियदर्शी से इस बाबत संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने फोन उठाना तक जरूरी नहीं समझा।

जांच अधिकारी के बार-बार बदले जाने और रिपोर्ट में देरी को लेकर अब यह आशंका जताई जा रही है कि कहीं पूरा मामला लीपापोती की भेंट न चढ़ जाए। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कवायद है या निष्पक्ष जांच की दिशा में एक और अधूरी पहल?

अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या वास्तव में दोषियों पर कार्रवाई होगी या जांच सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह जाएगी।

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