
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने एकजुट होकर सऊदी अरब की प्रस्तावित टी20 लीग का विरोध करने का फैसला किया है। दोनों बोर्ड इस लीग में अपने खिलाड़ियों की भागीदारी को पूरी तरह रोकने के लिए एकमत हो गए हैं। इन बोर्ड्स का यह कदम उनकी मौजूदा टी20 लीग्स – आईपीएल और ‘द हंड्रेड’ – को आर्थिक और क्रिकेटीय दृष्टिकोण से मजबूत बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
जय शाह की भूमिका और ICC का पक्ष
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के मौजूदा चेयरमैन बीसीसीआई के पूर्व सचिव जय शाह हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि वह बीसीसीआई की इस नीति के खिलाफ नहीं जाएंगे, जिससे सऊदी टी20 लीग को वैश्विक मंजूरी मिलना मुश्किल हो सकता है।
लॉर्ड्स में हुई थी सहमति
ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में लॉर्ड्स में आयोजित विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के दौरान BCCI और ECB के बीच इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई थी। इसी बैठक में दोनों बोर्ड्स ने तय किया कि वे अपने खिलाड़ियों को इस नई लीग में भाग लेने की अनुमति नहीं देंगे। इसका सीधा असर यह होगा कि भारत और इंग्लैंड के खिलाड़ी इस लीग का हिस्सा नहीं बन पाएंगे।
पहले से ही सख्त है BCCI की नीति
BCCI पहले से ही भारतीय खिलाड़ियों को विदेशी टी20 लीग्स में खेलने की इजाजत नहीं देता है। वहीं, ECB ने भी अब स्पष्ट कर दिया है कि वह सऊदी लीग के लिए अपने खिलाड़ियों को NOC नहीं देगा। दोनों बोर्ड अब इस मुद्दे पर ICC से भी समर्थन मांगने की योजना बना रहे हैं।
हालांकि इस लीग को लेकर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA) की सोच BCCI और ECB से अलग है। ‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया सऊदी अरब की ओर से प्रस्तावित इस 400 मिलियन डॉलर की परियोजना में निजी निवेश के अवसर तलाश रहा है। CA को उम्मीद है कि सऊदी निवेशक ‘SRJ Sports Investments’ के जरिए उन्हें आर्थिक रूप से लाभ होगा।
इस प्रस्तावित लीग में आठ टीमें होंगी और यह साल में चार अलग-अलग स्थानों पर टूर्नामेंट्स आयोजित करेगी। इसकी तुलना टेनिस के ग्रैंड स्लैम्स से की जा रही है, जहां हर इवेंट अलग जगह पर होता है।
आर्थिक प्रतिस्पर्धा बनाम क्रिकेटीय प्राथमिकता
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया जहां नए निवेश के माध्यम से राजस्व बढ़ाने की योजना बना रहा है, वहीं BCCI और ECB अपने-अपने मौजूदा क्रिकेट ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते हैं। बिग बैश लीग अभी भी ऑस्ट्रेलिया के राज्यों और बोर्ड के अधीन है, और निजी निवेश को लेकर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया का रुख सकारात्मक दिखाई दे रहा है।
वहीं दूसरी ओर, ECB अपनी 100 बॉल लीग ‘द हंड्रेड’ की फ्रेंचाइज़ियों की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर करीब 700 मिलियन डॉलर कमाने की तैयारी में है। दक्षिण अफ्रीका भी पहले ही आईपीएल फ्रेंचाइज़ियों को अपनी SA20 लीग की टीमें बेच चुका है और इस सौदे से करीब 136 मिलियन डॉलर की राशि जुटा चुका है।
क्या सऊदी लीग अब ठप हो जाएगी?
BCCI और ECB जैसे शक्तिशाली क्रिकेट बोर्ड्स के विरोध के चलते सऊदी टी20 लीग के आयोजन पर अब गंभीर प्रश्नचिह्न लग गया है। अगर अन्य बड़े क्रिकेट बोर्ड्स भी इस लाइन पर चलते हैं, तो इस मेगा प्रोजेक्ट की व्यवहारिकता ही खतरे में पड़ सकती है।