Mirzapur: भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक और वर्गीकृत सीमन के उपयोग से गंगातीरी गाय ने दिया साहीवाल बछिया को जन्म

  • साउथ कैंपस बीएचयू के कृषि विज्ञान संस्थान के पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान संकाय का अभिनव प्रयोग
  • पहली मादा साहीवाल बछिया 19 नवम्बर 2024 को और दूसरी बछिया 2 दिसम्बर 2024 को जन्मी थी

Mirzapur: राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत राजीव गांधी दक्षिण परिसर मिर्जापुर स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान संकाय, कृषि विज्ञान संस्थान में देशी गंगातिरी और साहीवाल नस्ल की गायों के संरक्षण और संवर्धन हेतु एक महत्वाकांक्षी सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी परियोजना चलाई जा रही है। 23 जून 2025 को एक गंगातिरी सरोगेट गाय ने भ्रूण प्रत्यारोपण तकनीक और वर्गीकृत सीमन की मदद से एक स्वस्थ 23 किलोग्राम वज़नी साहीवाल बछिया को जन्म दिया। यह इस परियोजना के तहत पैदा हुई तीसरी मादा बछिया है।

बता दें कि यहा 22 सितंबर 2024 को एक उच्च दुग्ध उत्पादक साहीवाल गाय में सुपरओवुलेशन करवाकर उसे एक श्रेष्ठ साहीवाल बैल के वर्गीकृत सीमन से कृत्रिम रूप से गर्भित किया गया था, ताकि केवल मादा बछड़ी का ही जन्म सुनिश्चित किया जा सके। यह उपलब्धि आरकेवीके वित्तपोषित परियोजना के तहत तीसरे सफल बछड़ी जन्म को दर्शाती है। पहली मादा साहीवाल बछिया 19 नवम्बर 2024 को और दूसरी बछिया 2 दिसम्बर 2024 को जन्मी थी, जिससे इस तकनीक की प्रभावशीलता और निरंतर सफलता की पुष्टि होती है। आज की नई बछिया के जन्म से यह सिद्ध हो गया है कि यह तकनीक देशी नस्लों के संवर्धन में लगातार सफल हो रही है।

इस परियोजना का संचालन डॉ. मनीष कुमार (प्रधान अन्वेषक) के निर्देशन में हो रहा है, जबकि डॉ. कौस्तुभ किशोर सराफ और डॉ. अजीत सिंह सह-अन्वेषक के रूप में कार्य कर रहे हैं। एफवीएएस की टीम अब इस कार्यक्रम में और अधिक उन्नत प्रजनन तकनीकों को शामिल करने को प्रयासरत है, जैसे कि ओवम पिक-अप (ओपीयू), इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) और एम्ब्रियो ट्रांसफर (ईटी)। टीम का लक्ष्य है कि भविष्य में इन तकनीकों को विंध्य क्षेत्र के किसानों के द्वार तक पहुँचाया जाए, जिससे देशी नस्लों के संरक्षण के साथ-साथ दुग्ध उत्पादन से जुड़े किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। इस उपलब्धि पर संस्थान के निदेशक प्रो. यू. पी. सिंह और आर.जी.एस.सी. के प्रभारी प्रो. वी. के. मिश्रा ने बधाई दी और कहा कि एम्ब्रियो ट्रांसफर तकनीक किसानों को तेजी से आनुवंशिक सुधार, उच्च उत्पादकता, कम लागत, और अधिक दुग्ध उत्पादन से आयवृद्धि का अवसर देगी।

संकाय प्रमुख प्रो. एन. के. सिंह एवं विभाग प्रभारी प्रो. अमित राज गुप्ता ने टीम को शुभकामनाएँ दीं और कहाकि यह तकनीक किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाली पशुधन विकसित करने में सक्षम बनाएगी, जिससे लंबे समय में लाभ और टिकाऊ पशुपालन सुनिश्चित किया जा सकेगा।

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