
इस्राइल-ईरान संघर्ष के तेज होने और अमेरिका की इसमें सक्रिय भूमिका के बाद वैश्विक स्तर पर ऊर्जा संकट की आशंका गहराने लगी है। इस तनावपूर्ण माहौल के बीच भारत सरकार ने भरोसा दिलाया है कि देश की तेल आपूर्ति पर इसका कोई तात्कालिक गंभीर असर नहीं पड़ेगा। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत के पास पर्याप्त तेल भंडार है और सरकार जरूरत पड़ने पर नागरिकों को ईंधन आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगी।
होर्मुज जलडमरूमध्य: तेल व्यापार की लाइफलाइन
तनाव का केंद्र बना है होर्मुज जलडमरूमध्य, जो फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है। यह दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों में से एक है, जहां से रोजाना लगभग 30% वैश्विक तेल और एक-तिहाई तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का परिवहन होता है। यह मार्ग अपने सबसे संकरे हिस्से में सिर्फ 33 किलोमीटर चौड़ा है, और जहाजों के गुजरने के लिए महज 3 किलोमीटर की लेन उपलब्ध है। यही वजह है कि यह इलाका हमलों और अवरोधों के लिए बेहद संवेदनशील माना जाता है।
अब अमेरिका के ईरान पर तीन परमाणु ठिकानों पर किए गए हमले के बाद ईरान ने इस जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दी है। यदि ऐसा होता है, तो यह वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को गहरा झटका दे सकता है।
भारत के लिए क्यों अहम है होर्मुज?
भारत की कुल तेल जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा यानी करीब 2 मिलियन बैरल प्रति दिन (MBPD) की कच्चे तेल की आपूर्ति होर्मुज जलडमरूमध्य के जरिए होती है। हालांकि भारत ने बीते कुछ वर्षों में अपने तेल स्रोतों में विविधता लाई है। अब भारत रूस, अमेरिका, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और कई अन्य देशों से भी तेल और गैस खरीदता है, जिनकी आपूर्ति होर्मुज पर निर्भर नहीं है।
विशेषज्ञों के अनुसार, एलएनजी के मामले में भारत की आपूर्ति कतर, अमेरिका, रूस और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से होती है, जिनका निर्भरता स्तर होर्मुज पर बहुत कम है। इसलिए, एक सीमित अवधि के लिए अगर होर्मुज बंद होता भी है, तो भारत के पास आपूर्ति बनाए रखने के पर्याप्त विकल्प मौजूद हैं।
केंद्र सरकार की स्थिति स्पष्ट
हरदीप पुरी ने कहा कि भारत बीते दो हफ्तों से पश्चिम एशिया की घटनाओं पर पैनी नजर बनाए हुए है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर जानकारी दी कि, “हमारी तेल विपणन कंपनियों के पास कई हफ्तों का भंडार है। साथ ही, हमारी सप्लाई कई रूट्स से लगातार जारी है। नागरिकों को ईंधन की कमी न हो, इसके लिए सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं।”
उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत की ऊर्जा रणनीति अब पहले से कहीं ज्यादा लचीली और विविध है। होर्मुज जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर एकतरफा निर्भरता अब काफी कम हो गई है।
क्या हो सकता है प्रभाव?
हालांकि विशेषज्ञों ने चेताया है कि भले ही भारत का सीधा असर सीमित हो, लेकिन अगर होर्मुज जलडमरूमध्य एक सप्ताह के लिए भी बंद होता है, तो इसका वैश्विक प्रभाव बेहद व्यापक होगा।
- तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं।
- वैश्विक सप्लाई चेन में रुकावट आ सकती है।
- भारत को भी अप्रत्यक्ष तौर पर ईंधन लागत और आयात बिल में इजाफे का सामना करना पड़ सकता है।
यदि कच्चे तेल की कीमतें 105 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाती हैं, तो केंद्र सरकार ईंधन पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती जैसे कदमों पर विचार कर सकती है ताकि आम जनता पर बोझ कम हो।