कानपुर : सनसनीखेज खुलासे के बाद दीनू उपाध्याय का नया ठिकाना सोनभद्र जेल

  • शनिवार दोपहर राज्य सरकार ने जिला कार्यालय को भेजा पत्र
  • जेल अधीक्षक को आदेश पर चंद घंटों के अंदर अमल का हुक्म
  • कानपुर जेल के अंदर से गैंग के संपर्क में था धीरज उपाध्याय

भास्कर ब्यूरो

कानपुर। पिंटू सेंगर हत्याकांड और फर्जीवाड़े के जरिए वकालत की डिग्री हासिल करने के आरोपों के भंवरजाल में फंसा दीनू उपाध्याय अब सोनभद्र जेल की सलाखों के पीछे है। शनिवार को राज्य सरकार के बुलेट आदेश के चंद घंटों बाद अंधेरा गहराते ही दीनू को कानपुर जेल से निकालकर देर रात सोनभद्र जेल पहुंचा दिया गया। दीनू की जेल ट्रांसफर की वजह बेहद सनसनीखेज हरकत के बाद हुई है। सर्विलांस और फोन टैपिंग के जरिए पुख्ता साक्ष्य हासिल हुए थे कि, कैदखाने के अंदर से दीनू अपने गुर्गों के जरिए हरकतों में शामिल था। पुलिस रिपोर्ट में दीनू उपाध्याय की एक्टिविटी को लेकर गोपनीय रिपोर्ट में बहुत कुछ खुलासे किये गये हैं।

दूसरे कैदियों के मुलाकातियों को बनाया जरिया

गौरतलब है कि, 10 मई 2025 को दीनू उपाध्याय को पिंटू सेंगर हत्याकांड में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस कार्रवाई के बाद जनमानस में दीनू का खौफ कम हुआ तो दीनू एंड कंपनी के ऊपर मुकदमों की बाढ़ आ गई। फिलवक्त दीनू उपाध्याय पर 17 मुकदमे हैं, जबकि उसके साथी नीरज दुबे, धीरज दुबे, अरिदमन सिंह, नारायण भदौरिया, सत्येंद्र त्रिवेदी, अनूप शुक्ला, दीपक जादौन, अमन शुक्ला, रचित पाठक, श्रोत गुप्ता भी अलग-अलग मुकदमों में नामजद हैं। बीते जेल निरीक्षण के दौरान प्रत्यक्ष तौर पर कुछ आपत्तिजनक नहीं मिला था, लेकिन निरीक्षण टीम को दीनू उपाध्याय की दिनचर्या से जुड़े तमाम इनपुट हासिल हुए थे। इनपुट के आधार पर पुलिस सर्विलांस टीम सक्रिय हुई और तमाम गुर्गों के फोन ट्रैप किये गये तो सच्चाई सामने थी। सूत्रों के अनुसार, दीनू उपाध्याय ने जेल के अंदर से अपनी टीम तक संदेश पहुंचाने के लिए दूसरे कैदियों को जरिया बनाया। चूंकि दीनू के मुलाकातियों पर सख्त पहरा था, लिहाजा दूसरे कैदियों को दीनू अपना संदेश सुनाकर उनके मुलाकातियों के जरिए कचहरी में बैठे गैंग के सदस्यों तक अपने फरमान पहुंचा देता था।

दारोगा के फोन से दीनू ने संपर्क साधा था

बीते पखवारे खबर मिली थी, जेल के अंदर रिमांड की कार्रवाई करने पहुंचे एक दारोगा के फोन के जरिए भी दीनू उपाध्याय ने अपनी टीम से संपर्क किया था। पुलिस अफसरों ने इस संदर्भ में जानकारी होने से प्रत्यक्ष तौर पर इंकार किया था, लेकिन सर्विलांस टीम और जेल के गुप्तचरों को सक्रिय कर दिया गया था। सर्विलांस टीम को साक्ष्य मिले कि, जैसे-तैसे इधर-उधर के माध्यमों से टीम मुखिया का हुक्म प्राप्त होने के बाद दीनू की टीम सक्रिय होकर काम में जुट जाती थी। पुलिस तक शिकायत पहुंची है कि, कई मुकदमों के वादियों तक परोक्ष-प्रत्यक्ष रूप से पैरवी से हटने अथवा मुकदमा खत्म करने का दबाव बनाया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह दबाव जेल के अंदर से दीनू के आदेश के बाद बनाया गया था। खबर है कि, सर्विलांस टीम ने दीनू गैंग के सदस्य नारायण सिंह भदौरिया की बातचीत को ट्रैप करने के बाद पुलिस कमिश्नर को तमाम गुप्त मोहरों के बारे में बताया है। ऐसे में दीनू गैंग में कुछ अन्य सदस्यों पर सख्त कार्रवाई मुमकिन है।

कानपुर से 406 किलोमीटर दूर, पहुंचना आसान नहीं

इरफान सोलंकी की तर्ज पर दीनू उपाध्याय को आस-पास की जेल के बजाय सोनभद्र जेल भेजा गया है। मकसद है कि, मुलाकातियों की संख्या पर लगाम। कानपुर जेल में कैद इरफान सोलंकी से आए दिन तमाम लोग मुलाकात करने पहुंचते थे। इसी प्रकार कन्नौज जेल में बंद सपा नेता नवाब सिंह यादव ने मुलाकातियों का रिकार्ड तोड़ दिया था। नतीजे में इरफान सोलंकी को महाराजगंज जेल, जबकि नवाब सिंह को कन्नौज से बांदा जेल पहुंचा दिया गया। इसी तर्ज पर लोकल सिंडिकेट से दीनू का संपर्क तोड़ने के लिए उसे कानपुर से 406 किलोमीटर दूर सोनभद्र जेल पहुंचा दिया गया है। अव्वल सोनभद्र के लिए ट्रेन बेहद कम हैं, इसके अलावा प्रयागराज के आगे रास्ता भी खराब है।

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