
महराजगंज : जनपद महराजगंज गौतम बुद्ध की नगरी है जिसमे 317 विधानसभा सिसवा के ग्राम सभा चिउटहा मे एक कुवरवर्ती स्थल है जो इतिहास से जुड़ा हुआ है जानकारी के मुताबिक राजकुमार सिद्धार्थ यानी गौतम बुद्ध ने जिस स्थान पर राजश्री वस्त्रों का त्याग किया था, वह आज उपेक्षित पड़ा है। यह ऐतिहासिक धरोहर अब विलुप्त होने की कगार पर है। यहां स्थित बौद्धकालीन ईटों से बना तालाब भी उपेक्षा का शिकार है। इन ऐतिहासिक स्थलों का कोई पूछनहार नहीं है। जिसको लेकर कुँवरवर्ती स्तूप के जीर्णोद्धार की मांग उठ गई, क्षेत्रीय लोगों ने विधायक प्रेम सागर पटेल को ज्ञापन सौंप कर जीर्णोद्धार कराने की मांग किया है,
इतिहासकारों और बौद्ध धर्म के जानकारों के अनुसार सिसवां ब्लॉक का चिउटहां स्थित कुंअरवर्ती ही वह स्थान है जहां भगवान बुद्ध ने गृह त्याग के बाद अपने राजसी वस्त्र उतारे थे। यहीं पर उन्होंने संन्यासी वेश धारण किया था। इसी ऐतिहासिक स्थल से गौतम बुद्ध ने अपने सारथी को घर वापस भेज दिया।
स्थल को बौद्धकालीन इतिहास में कुंअरवर्ती स्तूप के नाम से जाना जाता है। आज यहां एक बड़ा तालाब है, जो मिट्टी की दीवार से घिरा हुआ है। पहले यहां तालाब के बीच में एक स्तूप था, जिसमें सम्राट अशोक ने बनवाया था। इसका उल्लेख बौद्ध जातक कथाओं में भी मिलता है। बौद्ध कालीन इतिहास पर काम करने वाले डॉ. पीआर गुप्त बताते हैं कि यदि इस उपेक्षित तालाब की खुदाई हो तो बड़ी मात्रा में बौद्धकालीन अवशेष मिलेंगे। चीनी यात्री युवान च्वांग के यात्रा विवरण में दिए गए दिशा विवरण व दूरी के आधार कुंअरवर्ती स्तूप चिउटहां में ही सिद्ध होता है। यह बौद्ध धर्म के प्रधान तीर्थ स्थलों में से एक है। चीनी यात्रा वृतांत के अनुसार बगल में ही अनुमा नदी थी। उसे पार कर तथागत कुंअरवर्ती स्तूप पर पहुंचे थे। उस नदी की जगह आज एक नाला प्रवाहित होता है।
विद्यायक प्रेमसागर पटेल ने कहा कि महराजगंज गौतम बुद्ध का ननिहाल है। चिउटहा स्थित कुँवरवर्ती स्थल पर गौतम बुद्ध ने वस्त्रों का त्याग किया था। इस पौराणिक स्थल के विकास हेतु मुद्दा मुख्यमंत्री के समक्ष रखूंगा। इसके विकास के लिए सरकार द्वारा हर संभव सहयोग मिलेगा।