प्लेटलेट की कमी डेंगू रोगियों की मौत का कारण नहीं : सीएमओ

  • डेंगू, मलेरिया उपचार एवं प्रबन्धन पर कार्यशाला में विशेषज्ञों ने उपचार प्रबन्धन का दिया प्रशिक्षण

वाराणसी। बारिश के मौसम में डेंगू, चिकनगुनिया एवं मलेरिया रोगों के उपचार और इसके प्रबंधन के लिए गुरूवार को निजी एवं राजकीय चिकित्सकों, नर्सिंग होम संचालकों को कार्यशाला में प्रशिक्षण दिया गया। गोदरेज कन्ज्यूमर प्रोडक्ट लिमिटेड (जीसीपीएल) के सहयोग से तकनीकी सहयोगी संस्था पाथ-सीएचआरआई के बैनर तले छावनी क्षेत्र स्थित एक होटल में आयोजित कार्यशाला में रोगियों के बेहतर उपचार व प्रबन्धन पर जोर दिया।

कार्यशाला में जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने डेंगू के उपचार के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्लेटलेट की कमी डेंगू पीड़ितों की मौत का कारण नहीं है।अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार, जब तक किसी मरीज का प्लेटलेट काउंट 10 हजार से कम न हो और सक्रिय रक्तस्राव न हो रहा हो तब तक उसे प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता नहीं होती है। डेंगू के इलाज में प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन प्राथमिक इलाज नहीं है।

उन्होंने बताया कि डेंगू बुखार एक मच्छर जनित रोग है। यह चार प्रकार के डेंगू वायरस में से किसी एक के कारण होता है, जो एक संक्रमित मादा एडीज ऐजीपटाई अथवा एडीज़ एलवोपिकटस मच्छर के काटने से फैलता है। डेंगू के सामान्य लक्षणों में तेज बुखार नाक बहना, त्वचा पर हल्के लाल चकते, खांसी और आंखों के पीछे और जोड़ों में दर्द शामिल हैं। हालांकि कुछ लोगों को लाल और सफेद धब्बेदार चकत्ते विकसित हो सकते हैं जिसके बाद भूख में कमी, मतली, उल्टी आदि हो सकती है। डेंगू से पीड़ित मरीजों को चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए, आराम करना चाहिए और बहुत सारे तरल पदार्थ पीना चाहिए। बुखार को कम करने और जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए पैरासिटामोल लिया जा सकता है। हालांकि, एस्पिरिन या आईबुप्रोफेन नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि वे रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

कार्यशाला में प्रो. निलेश कुमार ने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2024 में मलेरिया से कोई भी मृत्यु नहीं हुई है। उत्तर प्रदेश में 2027 तक मलेरिया उन्मूलन के दिशा में कार्य किया जाना है। जिससे कि मलेरिया के संचरण को रोका जा सके तथा वर्ष 2030 तक मलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।

प्रो. गोपाल नाथ ने बताया कि मलेरिया एनाफिलिज मच्छरों की कुछ प्रजातियां ही इस बीमारी को फैलाती हैं, जब मादा एनाफिलिज मच्छर मलेरिया रोगी का रक्त चूसती हैं तथा रक्त के साथ मलेरिया परजीवी उसके आमाशय में पहुंच जाता है। यह मच्छर ही व्यक्ति को मलेरिया से संक्रमित करता है। कार्यशाला में सीएमएस डॉ बृजेश कुमार, रिजनल कोआर्डिनेटर डा. ओजस्विनी त्रिवेदी, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी, डा. एस.एस. कनौजिया, अधीक्षक डॉ आर बी यादव, प्रभारी चिकित्साधिकारी, निजी नर्सिंग होम के चिकित्सक, जिला मलेरिया अधिकारी शरद चन्द्र पाण्डेय आदि की भी मौजूदगी रही।

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