JCM की सरकार से मांग : 8वें वेतन आयोग की ToR को सार्वजनिक किया जाए

नई दिल्ली : केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों के बीच 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर असमंजस और चिंता का माहौल है। इस बीच नेशनल काउंसिल (स्टाफ साइड), जेसीएम ने 18 जून को कैबिनेट सचिव को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि आयोग के लिए तैयार किए गए ‘टर्म्स ऑफ रेफरेंस’ (ToR) को सार्वजनिक किया जाए।

क्या है मामला?

कार्मिक विभाग (DoPT) ने पहले ही सूचित किया था कि सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन का निर्णय ले लिया है और इसके लिए ‘टर्म्स ऑफ रेफरेंस’ को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जेसीएम की ओर से सुझाव समय पर भेजे जा चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई संवाद नहीं हुआ है।

क्या कहा जेसीएम ने?

जेसीएम के सचिव शिव गोपाल मिश्रा ने पत्र में लिखा है कि टीओआर का मसौदा सार्वजनिक न होने के कारण कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के मन में संदेह और असुरक्षा की भावना पैदा हो रही है। उन्होंने कहा, “सरकार यदि पारदर्शिता बरते तो कर्मचारी वर्ग का विश्वास बना रहेगा।”

10 फरवरी को हुई थी महत्वपूर्ण बैठक

10 फरवरी 2025 को जेसीएम की स्थायी समिति की बैठक में 8वें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों (ToR) पर विस्तृत चर्चा हुई थी। इसमें स्टाफ साइड ने मौजूदा वेतन ढांचे, पेंशन प्रणाली, महंगाई भत्ता, CGHS की खामियों, और पुरानी पेंशन योजना की बहाली जैसे अहम मुद्दे उठाए।

जेसीएम के प्रमुख सुझावों पर एक नजर

  1. न्यूनतम वेतन निर्धारण जीवन की आवश्यकताओं और परिवार की बढ़ती इकाइयों को ध्यान में रखकर हो।
  2. पुरानी पेंशन योजना (OPS) को पुनः लागू किया जाए, खासकर 2004 के बाद नियुक्त कर्मियों के लिए।
  3. सेवा में कम से कम 5 पदोन्नति की गारंटी दी जाए।
  4. महंगाई भत्ता और राहत (DA/DR) को मूल वेतन/पेंशन के साथ समयबद्ध रूप से मर्ज किया जाए।
  5. CGHS और FMA को पारदर्शी और कैशलेस प्रणाली में बदला जाए।
  6. जोखिम भत्ता व बीमा: रेलवे और रक्षा क्षेत्र के कर्मचारियों को विशेष सुरक्षा कवरेज मिले।

टीओआर क्यों महत्वपूर्ण है?

ToR यानी टर्म्स ऑफ रेफरेंस, किसी भी आयोग के कार्यक्षेत्र और दिशा को निर्धारित करते हैं। 8वें वेतन आयोग का ToR यह तय करेगा कि किन पहलुओं की समीक्षा होगी—केवल वेतन संरचना या साथ में पेंशन, भत्ते और अन्य सुविधाएं भी।

अब तक टीओआर न आने से न केवल कर्मचारी बल्कि पेंशनर भी आशंकित हैं कि कहीं उनके हितों की अनदेखी न हो जाए।

क्या बोले कर्मचारी संगठन?

AIDEF के महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा, “रक्षा सिविलियन कर्मचारी अत्यधिक जोखिम में काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें न तो पर्याप्त भत्ता मिल रहा है और न बीमा। ऐसे में आयोग को इन मुद्दों पर ठोस सिफारिश करनी चाहिए।”

अब आगे क्या?

जेसीएम ने सरकार से आग्रह किया है कि:

  • टीओआर सार्वजनिक किया जाए
  • आयोग की कमेटी जल्द गठित की जाए
  • स्टाफ साइड से संवाद फिर शुरू हो

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