
नई दिल्ली/वाशिंगटन : अपने बयानों से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर चौंकाने वाला बयान दिया है। इस बार उन्होंने यह स्वीकार किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य संघर्ष को रोकने में अमेरिका की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं रही।
ट्रंप ने यह टिप्पणी व्हाइट हाउस में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के साथ एक लंच मीटिंग के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान की।
मुनीर से मुलाकात के बाद बदला सुर
ट्रंप ने कहा,
“मैं जनरल मुनीर से मिलकर सम्मानित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने शांति बनाए रखने का समझदारीभरा फैसला लिया।”
उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के नेता – भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के जनरल मुनीर – इतने समझदार थे कि उन्होंने हालात को बिगड़ने नहीं दिया। ट्रंप के अनुसार, यह टकराव अगर नहीं थमता, तो यह एक परमाणु युद्ध में तब्दील हो सकता था।
मोदी से फोन पर बात, मीडिया में दावा नहीं
इस बार ट्रंप ने पहली बार यह माना कि 10 मई को संघर्ष विराम का श्रेय भारत और पाकिस्तान को ही मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने संघर्ष रोका और उन्हें इस पर ‘कोई मीडिया क्रेडिट नहीं’ मिला, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। ट्रंप ने पीएम मोदी को ‘शानदार इंसान’ बताया।
भारत का कड़ा खंडन: कोई मध्यस्थता नहीं हुई
भारत की ओर से ट्रंप के दावे का तुरंत और स्पष्ट खंडन किया गया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद हुए संघर्ष विराम में किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं थी।
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह बातचीत भारत और पाकिस्तान के सैन्य महानिदेशकों (DGMO) के बीच हुई थी, और सीजफायर की पहल पाकिस्तान की तरफ से आई थी।
क्या था ऑपरेशन सिंदूर?
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने कड़ा जवाब देते हुए ऑपरेशन सिंदूर चलाया।
इसमें पाकिस्तान और POJK (पाकिस्तान के कब्जे वाला जम्मू-कश्मीर) में स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल से हमला किया गया।
इस ऑपरेशन के बाद दोनों देशों के बीच 4 दिन तक रुक-रुक कर गोलाबारी होती रही, जो 10 मई को समाप्त हुई।
ट्रंप के पुराने दावे और भारत की प्रतिक्रिया
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप पहले कई बार दावा कर चुके थे कि उन्होंने भारत-पाक टकराव टालने में निजी भूमिका निभाई है।
वे यह भी कहते रहे कि अगर दोनों देश लड़ना छोड़ दें तो अमेरिका उनसे व्यापार करेगा।
हालांकि, भारत ने इन दावों को हर स्तर पर खारिज किया – संसद, विदेश मंत्रालय और सैन्य अधिकारियों तक ने स्पष्ट कहा कि
“भारत अपने कूटनीतिक और सैन्य मामलों में किसी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता।”