
- ट्रांसफर पर लगी रोक की उड़ी खुली धज्जियाँ!
- बेसिक शिक्षा विभाग ने खुद किया मंत्री के आदेश का उल्लंघन
- BSA को कार्यमुक्त कर माध्यमिक विभाग भेजना भी तो ट्रांसफर है !
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग एक बार फिर कठघरे में है। ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के स्पष्ट निर्देशों और मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद स्थानांतरण पर रोक लगा दी गई थी। फिर भी बेसिक विभाग ने अपने बीएसए अधिकारियों को प्रोन्नत कर माध्यमिक विभाग को सौंपते हुए कार्यमुक्त कर दिया। यह कार्यवाही किसी और ने नहीं, बेसिक शिक्षा विभाग ने खुद की है। यानी मंत्री के आदेश की पहली और सबसे स्पष्ट अवहेलना विभाग ने स्वयं की है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की ‘कार्यमुक्ति’ है असली सवाल!
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी डीआईओएस पदों पर प्रोन्नति लिस्ट अपने विभाग का आंतरिक विषय हो सकता है, लेकिन बेसिक विभाग द्वारा बीएसए को कार्यमुक्त करना ही मूल विवाद का कारण है।
जब बीएसए पद पर रहते स्थानांतरण पर पूरी तरह से रोक थी, तो उन्हें कार्यमुक्त करना मूल आदेश की भावना के प्रतिकूल है।
क्या प्रोन्नति आदेश स्थानांतरण रोक से ऊपर है?
जब मंत्री ने स्पष्ट कहा था कि बेसिक शिक्षा विभाग के किसी भी अधिकारी का स्थानांतरण नहीं होगा, चाहे वह बीएसए हो या अन्य कोई अधिकारी, तो प्रोन्नत बीएसए का स्थानांतरण किस आधार पर किया गया? क्या प्रोन्नति आदेश ‘स्थानांतरण रोक’ से ऊपर माना गया? अगर नहीं, तो उन्हें वहीं प्रोन्नत वेतनमान देकर बीएसए के पद पर क्यों नहीं रहने दिया गया?
यह सवाल भी अनदेखा नहीं किया जा सकता कि क्या इस तरह के निर्णयों से ‘स्कूल चलो अभियान’ और शैक्षिक सत्र’ को नुकसान नहीं पहुंचता?
मंत्री जी का उद्देश्य था कि शिक्षक और अधिकारी, नामांकन, पढ़ाई और बच्चों के भविष्य को लेकर समर्पित रहें।
तो फिर BSA को हटाकर माध्यमिक विभाग भेजना, क्या इस उद्देश्य को कमजोर नहीं करता?
सवाल यह भी हैं…
क्या बेसिक शिक्षा विभाग ने स्वयं ही मंत्री के आदेश को तोड़ने का काम किया?
क्या कार्यमुक्ति देकर माध्यमिक को अधिकारी सौंपना ‘ ट्रांसफर’ नहीं है?
क्या ऐसे आदेश शिक्षा व्यवस्था और जनहित को क्षति नहीं पहुंचा रहे?
निदेशालय में फुसफुसाहट तेज़…
बेसिक शिक्षा निदेशालय में तैनात कर्मचारियों के बीच यह चर्चा तेज़ है कि आख़िर किसके निर्देश पर ये कार्यमुक्ति आदेश दिए जा रहे हैं?
अगर ट्रांसफर पर स्पष्ट रोक थी, तो फिर BSA को Relieving (कार्यमुक्ति) देने का निर्णय किस आधार पर लिया गया? इस पूरे मामले में डी.जी आई.ए.एस कंचन वर्मा से जानकारी लेने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया और न ही व्हाट्सएप पर भेजे गए सवालों का जवाब दिया।