
भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) के भविष्य पर इस समय चीन के एक अहम फैसले की मुहर बाकी है। देश की प्रमुख ऑटो और ऑटो-पार्ट्स कंपनियां—Bosch India, TVS Motor, Uno Minda, Marelli Powertrain और Sona Comstar—चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट्स (Rare Earth Magnets) मंगवाने के लिए लाइसेंस की मंजूरी का इंतजार कर रही हैं। पहले यह संख्या 11 कंपनियों तक सीमित थी, जो अब बढ़कर 21 हो गई है।
क्यों जरूरी हैं रेयर अर्थ मैग्नेट्स?
रेयर अर्थ मैग्नेट्स ईवी उद्योग के लिए बेहद जरूरी हैं क्योंकि ये:
- इलेक्ट्रिक वाहनों की मोटर
- ब्रेक सिस्टम
- पावरट्रेन सिस्टम
जैसे अहम हिस्सों में इस्तेमाल होते हैं।
चीन इस समय वैश्विक उत्पादन का 90% हिस्सा अकेले नियंत्रित करता है, जिसकी वजह से भारत समेत पूरी दुनिया इन चुंबकों के लिए चीन पर निर्भर है। यदि यह आपूर्ति बाधित होती है, तो भारत के EV ट्रांज़िशन और नेट ज़ीरो लक्ष्य पर गहरा असर पड़ेगा।
कौन-कौन फंसे हैं इंतजार में?
- Bosch India
- TVS Motor
- Uno Minda
- Marelli Powertrain
- Sona Comstar (जिसका पिछला आवेदन डॉक्यूमेंट्री त्रुटियों के कारण खारिज हुआ था, अब फिर से किया गया है)
Sona Comstar के पूर्व चेयरमैन संजय कपूर का हाल ही में निधन हुआ, जिससे कंपनी सुर्खियों में रही थी।
चीन का नया नियम क्या है?
4 अप्रैल 2025 से चीन ने एक नया एक्सपोर्ट नियम लागू किया है:
- मीडियम और हेवी रेयर अर्थ मैग्नेट्स के निर्यात के लिए अब पूर्व-लाइसेंसिंग जरूरी है।
- खरीदार को चीन को यह लिखित भरोसा देना होता है कि इन सामग्रियों का इस्तेमाल सैन्य या विनाशकारी हथियारों के निर्माण में नहीं होगा।
- यह कदम अमेरिका की रणनीतिक चालों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि अमेरिका की कई कंपनियों को पहले ही यह लाइसेंस मिल चुका है, जबकि भारत की कंपनियां अभी भी प्रतीक्षा में हैं।
उत्पादन रुकने का खतरा: जुलाई में बिगड़ सकता है गणित
SIAM (Society of Indian Automobile Manufacturers) के अनुसार:
- भारत की 52 कंपनियां चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट आयात करती हैं।
- अगर जुलाई की शुरुआत तक लाइसेंस नहीं मिला, तो स्टॉक खत्म हो सकता है।
- 2024-25 में भारत ने करीब 870 टन मैग्नेट्स (306 करोड़ रुपये की कीमत) आयात किए थे।
इस आपूर्ति में रुकावट आने से:
- इलेक्ट्रिक वाहन
- हाइब्रिड वाहन
- मोटर उत्पादन
जैसे अहम क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं।
कहां फंसा है मामला?
भारत सरकार चीन से लगातार संवाद में है, लेकिन अभी तक किसी ठोस समझौते पर मुहर नहीं लग पाई है। दिलचस्प यह है कि यूरोप की कुछ कंपनियों को चीन ने चुंबक एक्सपोर्ट की मंजूरी दे दी है, लेकिन भारत में उन्हीं कंपनियों की शाखाओं को अभी तक हरी झंडी नहीं मिली है।