बहराइच : 2814 माताओं ने सिजेरियन प्रसव से दिया स्वस्थ शिशुओं को जन्म

  • जनपद में 2814 माताओं ने सिजेरियन प्रसव से दिया स्वस्थ शिशुओं को जन्म
  • महिला विंग में सर्वाधिक 2366 ऑपरेशन, एफआरयू केंद्रों ने भी निभाई अहम भूमिका

बहराइच। प्रसव के दौरान जटिलताओं की स्थिति में ‘सी-सेक्शन’ यानी सिजेरियन डिलीवरी एक जीवन रक्षक उपाय साबित हो रही है। चिकित्सा आवश्यकता के आधार पर किया जाने वाला यह हस्तक्षेप न केवल माँ और शिशु की जान बचाता है, बल्कि सुरक्षित मातृत्व का मार्ग भी प्रशस्त करता है। बीते वित्तीय वर्ष 2024–25 में जिले में 2,814 महिलाओं का सिजेरियन प्रसव कर सुरक्षित डिलीवरी सुनिश्चित की गई।

डीपीम सरजू खान ने बताया कि इनमें से 2366 ऑपरेशन मेडिकल कॉलेज के महिला विंग में और 448 प्रसव जनपद की पाँच एफआरयू (प्राथमिक रेफरल इकाई) – नानपारा (154), कैसरगंज (118), महसी (76), पयागपुर (54) और मोतीपुर (46) – में प्रशिक्षित सर्जनों की देखरेख में सफलतापूर्वक किए गए।
इन्हीं में से एक, रिसिया ब्लॉक की रीना देवी कहती हैं, “अगर ऑपरेशन न होता तो मेरा बच्चा नहीं बचता।” अचानक उत्पन्न जटिलता में उन्हें मेडिकल कालेज के महिला विंग में लाया गया, जहाँ विशेषज्ञों ने समय रहते ऑपरेशन कर माँ और नवजात दोनों की जान बचाई। आज दोनों स्वस्थ हैं।

सुमन कार्यक्रम ने दी आपातकालीन प्रसव सेवाओं को मजबूती

सीएमओ डॉ. संजय शर्मा ने बताया कि ‘सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन)’ कार्यक्रम के तहत एफआरयू और जिला मेडिकल कॉलेज में सिजेरियन सहित आपातकालीन प्रसव सेवाएं 24×7 उपलब्ध हैं। इन केंद्रों पर प्रशिक्षित स्त्री रोग विशेषज्ञ, ऑपरेशन थियेटर, ब्लड स्टोरेज यूनिट, नवजात देखभाल इकाई, समय पर रेफरल और एम्बुलेंस जैसी सुविधाएँ मौजूद हैं। इसका उद्देश्य है कि हर उच्च जोखिम वाली गर्भवती को बिना आर्थिक बोझ के सुरक्षित और सम्मानजनक प्रसव सेवा मिल सके।

विशेषज्ञों की राय
मेडिकल कॉलेज बहराइच के स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डॉ. ऋचा यादव बताती हैं, “हम हमेशा सामान्य प्रसव को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन जब बच्चा उल्टी या आड़ी स्थिति में हो, प्रीक्लेम्पसिया (गंभीर रक्तचाप विकार) हो, प्रसव में अत्यधिक देरी हो या पूर्व में सिजेरियन हो चुका हो — तब सिजेरियन ही सुरक्षित उपाय होता है। ऐसा न करने पर माँ को अत्यधिक रक्तस्राव, संक्रमण या अंग क्षति का खतरा हो सकता है। वहीं शिशु को जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी, मस्तिष्क पर असर या गर्भ में मृत्यु जैसी गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।”

भ्रांतियों से बचें, विशेषज्ञों पर करें भरोसा
महाराजा सुहेलदेव राज्य स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय के प्रिन्सपल डॉ संजय खत्री ने बताया कि सी-सेक्शन को लेकर समाज में कई भ्रांतियाँ हैं— जैसे यह कमज़ोर महिलाओं के लिए होता है या इससे बच्चे और माँ को नुकसान होता है। कुछ लोग इसे डॉक्टरों की कमाई से भी जोड़ते हैं, जबकि हकीकत यह है कि सिजेरियन केवल चिकित्सकीय ज़रूरत पर किया जाता है, यह कोई विकल्प नहीं, जीवन रक्षक उपाय है। उन्होंने अपील की कि लोग भ्रम में न पड़ें और विशेषज्ञों की सलाह पर भरोसा करें। यह जागरूकता मातृ व नवजात मृत्यु दर को घटाने में मददगार है l

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