
कोलकाता। स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की नई भर्ती प्रक्रिया को लेकर उत्पन्न विवाद पर कोलकाता हाईकोर्ट ने फिलहाल हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। सोमवार को न्यायमूर्ति सौगत भट्टाचार्य ने स्पष्ट किया कि अदालत इस समय न तो भर्ती प्रक्रिया में कोई हस्तक्षेप करेगी और न ही इस मामले की त्वरित सुनवाई को मंजूरी दी जाएगी। अदालत के इस रुख से 2016 की नियुक्ति प्रक्रिया से वंचित रहे अभ्यर्थियों की चिंता और बढ़ गई है।
गौरतलब है कि एसएससी द्वारा हाल ही में जारी की गई नई अधिसूचना में नियुक्ति नियमों में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों के खिलाफ हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता फिरदौस शमीम ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 2016 की नियुक्ति प्रक्रिया को रद्द कर नई प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन अब जो नियम लागू किए गए हैं, वे पहले की तुलना में पूरी तरह भिन्न हैं। इससे 2016 की प्रक्रिया से वंचित उम्मीदवारों के अवसरों पर असर पड़ेगा।
नवीनतम अधिसूचना के अनुसार, पहले जहां लिखित परीक्षा 55 अंकों की होती थी, वहीं अब उसे बढ़ाकर 60 अंक कर दिया गया है। इसके अलावा “शिक्षण अनुभव” और “लेक्चर डेमोंस्ट्रेशन” जैसे नए मूल्यांकन मानदंड जोड़े गए हैं, जिन्हें अतिरिक्त अंकों से आंका जाएगा। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये नए मानदंड पहले प्रतीक्षा सूची में रहे उम्मीदवारों को पिछड़ने के लिए मजबूर कर सकते हैं।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी मांग की कि नई अधिसूचना को वापस लिया जाए और 2016 की तर्ज पर ही नियम लागू किए जाएं। उनका तर्क है कि लगभग नौ वर्ष पूर्व की प्रक्रिया को वर्तमान समय के नए मापदंडों के अनुसार चलाना न्यायोचित नहीं है।
न्यायमूर्ति सौगत भट्टाचार्य ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया सामान्य रूप से चलती रहेगी। अगर इस प्रक्रिया के दौरान कोई नई समस्या उत्पन्न होती है, तो उस स्थिति में अदालत मामले की जांच कर सकती है। अन्यथा, इस मामले की अगली सुनवाई अब जुलाई महीने में होगी।
हाईकोर्ट के इस निर्णय से साफ हो गया है कि फिलहाल एसएससी की नई भर्ती प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी। अब सभी की नजरें जुलाई में होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं।
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