
Prayagraj: कोरांव तहसील अधिकारियों द्वारा करीब तीन साल से भूमि प्रबंधक समिति अल्हवा कोरांव द्वारा निरा भूमिहीन, पीएम आवास सहायता योजना से वंचित गरीबों पात्रों को नई ग्राम पंचायत की गठित कार्यकारिणी और प्रथम बैठक बीस जून वर्ष 2021में लिए गए निर्णय के अनुसार अवैध कब्जा से ग्राम समाज की जमीनें मुक्त कराकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए तीन साल से कार्यवाही अभियान जारी रखा गया।
उक्त प्रस्ताव को समिति का ही सचिव लेखपाल एवं सक्षम अधिकारीगण द्वारा अमल न लाएं जाने पर प्रदेश के मुख्य मंत्री,प्रमुख सचिव राजस्व लखनऊ,राजस्व परिषद उत्तर प्रदेश,मंडलाआयुक्त,जिलाधिकारी एवं मुख्य राजस्व अधिकारी अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व प्रयागराज और जन सुनवाई मुख्यमंत्री सीएम हेल्प लाइन 1076 पोर्टल सहित अन्य उचित माध्यमों से पत्राचार,मांग पत्र देने के बावजूद कार्यवाही न किए जाने से आजीज आकर हाईकोर्ट में सिविल रिट पेटिशन नंबर 19327/2025 अहद अहमद सिद्दीकी बनाम उत्तर प्रदेश सरकार,जिलाधिकारी,मुख्य राजस्व अधिकारी प्रयागराज,और उप जिलाधिकारी तहसील कोरांव को पक्षकार बना कर याचिका दाखिल कर दी।

दरअसल ग्राम सभा अल्हवा में कई बीघा जमीनें ग्राम समाज की नवीन परती,बंजर आदि भू अतिक्रमण कर्ताओं ने गैर कानूनी ढंग से कब्जा कर कृषि कार्य कर अनुचित लाभ उठा रहे थे। और पात्र गरीब परेशान थे। जिसे सोशल एक्टिविस्ट ग्राम प्रधान अलहवा अहद अहमद सिद्दकी उर्फ शहजादे ने एल एम सी की कई बार बैठक कर पात्र लोगों का चयन किया, और कुछ कृषि कार्य हेतु एवं आवास से वंचित गरीब भूमिहीन परिवारों को रहने बसने के लिए उक्त जमीनों का दोहन से बचाने के लिए करीब छः बीघा भूमि में लगभग डेढ़ सौ लोगों को थोड़ा थोड़ा भूमि का पट्टा किया। किंतु लेखपाल ने स्थानीय होने के नाते भूमि के अतिक्रमण कर्ताओं के दबाव प्रभाव प्रलोभन में आकर आवंटन पत्रावली तहसील के अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया,स्वार्थ सिद्ध न होने के चक्कर में उप जिलाधिकारी और तहसीलदार कोरांव को गुमराह करता रहा शिकायत करने पर हर बार मिस कंडक्ट लिखित मौखिक रूप से अधिकारी को करता रहा।
तहसील के अधिकारी भी जब कोई कार्यवाही सचिव के विरुद्ध नहीं किए तब विवश होकर ग्राम प्रधान को हाईकोर्ट जाना पड़ा। देखना है उक्त याचिका पर कोर्ट क्या आदेश पारित करती है। किंतु ग्राम पंचायतों,भूमि प्रबंधक समितियों के प्रदत्त अधिकारों का हनन, शोषण,मौलिक अधिकारों,मानवाधिकारों का हनन एवं उच्च अधिकारियों के आदेशों की अवमानना क्या न्याय संगत है।
क्या बोले समिति अध्यक्ष
ग्राम पंचायत के भूमिहीनों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए पट्टा किया,जिससे आवास सहायता का लाभ मिले, निराभूमि हीनों को कृषि कार्य हेतु आवंटन किया। जिससे दुर्पयोग हो रही जमीनों को सुरक्षित रखा जाए। जो नवीन परती बंजर की भूमि में मुद्दतों से कब्जा थे,घर बनाए थे,उन्हीं लोगों को आवासीय तथा जो पात्र जोत बो रहे थे उन्हीं को कृषि कार्य का पट्टा दिया। किंतु लेखपाल कानूनगो स्वार्थ सिद्ध न होने पर पत्रावली दबाए हुए हैं जिस कारण पट्टा अभी तक स्वीकृति एसडीएम ने नहीं किया ,और अंत में मुझे हाईकोर्ट जाना पड़ा। आदेश का इंतजार है।
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