
अज़ब गज़ब। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से एक ऐसा अज़ब गज़ब मामला सामने आया है जिसने पुलिस की जांच प्रणाली और न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। ढाई साल पहले जिस युवक की हत्या के आरोप में नरेंद्र कुमार दुबे जेल में बंद था, वही ‘मृत युवक’ अब जिंदा सामने आ गया है और अदालत में पेश होकर अपनी मौजूदगी का दावा किया है।
चलती ट्रेन से धक्का देकर हत्या का आरोप
घटना 16-17 दिसंबर 2022 की रात की है। बरेली-शाहजहांपुर रूट पर एक जनरल कोच में मोबाइल चोरी को लेकर यात्रियों में झगड़ा हुआ। इसी दौरान एक युवक को ट्रेन से धक्का देने का आरोप लगा। जब ट्रेन बरेली पहुंची, तो यात्रियों ने अयोध्या निवासी नरेंद्र कुमार दुबे को पकड़कर जीआरपी को सौंप दिया।
ट्रैक पर मिली लाश, गलत पहचान से हुआ बड़ा फ़ैसला
अगली सुबह शाहजहांपुर के तिलहर के पास रेलवे ट्रैक पर एक युवक का शव मिला। बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी याकूब ने शव की पहचान अपने बेटे मोहम्मद ऐताब के रूप में की और शव को दफना भी दिया गया। इसी आधार पर नरेंद्र को हत्या के आरोप में जेल भेजा गया और केस की सुनवाई शुरू हुई।
अदालत में जिंदा पहुंचा ‘मृतक’
मामले ने उस समय नाटकीय मोड़ लिया, जब 2025 में खुद मोहम्मद ऐताब कोर्ट में पेश होकर बोला, “मैं जिंदा हूं।” ऐताब के जीवित होने की पुष्टि के बाद अदालत ने तुरंत नरेंद्र कुमार दुबे की रिहाई का आदेश दे दिया।
अब उठ रहे गंभीर सवाल
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि—
- अगर ऐताब जिंदा है, तो ट्रैक पर मिला शव किसका था?
- क्या जीआरपी ने शव की सही पहचान नहीं की?
- क्या किसी और की हत्या हुई जिसे गलती से ऐताब समझकर दफना दिया गया?
सरकारी वकील श्रीपाल वर्मा ने बताया कि अब जांच का पूरा रुख बदल गया है। असली मृतक कौन था, उसकी हत्या किसने और क्यों की — यह सब अब नए सिरे से जांच का विषय है।
यह मामला न सिर्फ पुलिस की लापरवाही को उजागर करता है बल्कि यह भी दिखाता है कि पहचान और सबूतों की पुष्टि किए बिना कैसे एक निर्दोष व्यक्ति को वर्षों तक जेल में रहना पड़ सकता है।
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