Lucknow: शिक्षक पुरस्कार का ‘खेला’-राज्य शिक्षक पुरस्कार में ‘पद’ से पुरस्कार तक सीधी डील!

  • योग्यता हाशिए पर.. कुर्सी और पहुंच बना रही चयन का रास्ता

Lucknow: उत्तर प्रदेश में शिक्षक दिवस पर दिया जाने वाला राज्य शिक्षक पुरस्कार एक प्रतिष्ठित सम्मान है, जिसे हर साल शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देने वाले शिक्षकों को दिया जाता है। इस बार प्रदेश भर से उठ रहे सवालों ने इस सम्मान की पारदर्शिता, निष्पक्षता और नैतिकता पर गहरे प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।

खबर की जड़ें जुड़ी हैं शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल के गृह जनपद कुशीनगर से। जहां बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) और डायट प्राचार्य का पद एक ही अधिकारी द्वारा संभाला जा रहा है। जबकि दोनों पदों की जिम्मेदारियां अलग हैं और शिक्षक चयन प्रक्रिया में दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। आरोप है कि अधिकारी ने इस दोहरे पद का इस्तेमाल कर राज्य शिक्षक पुरस्कार के लिए नामांकन प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया। ऐसे शिक्षक जिनके पास उल्लेखनीय शिक्षण कार्य था, उन्हें कम अंक दिया गया है, जबकि ‘अपनों’ को आगे बढ़ा दिया गया है।

राज्य शिक्षक पुरस्कार जैसे सम्मान शिक्षकों को प्रेरित करने के लिए होते हैं। लेकिन जब ये पुरस्कार निष्पक्षता की बजाय ‘नजदीकी’ पर आधारित होने लगे, तो यह पूरे शिक्षा तंत्र को हिलाकर रख देता है। अब देखना यह है कि क्या सरकार इस पर कोई तथ्यात्मक जांच शुरू करती है?

75 जिले, हजारों आवेदन… खेल में जोड़-तोड़

शिक्षा विभाग की गाइडलाइन के अनुसार वर्ष 2024 में चयन के लिए प्रत्येक जिले से चयन समिति द्वारा 3 शिक्षकों के नाम राज्य स्तर पर भेजे गए। इसके लिए मूल्यांकन के स्पष्ट मानक और स्कोरिंग सिस्टम निर्धारित थी। लेकिन दर्जनों जिलों से शिकायत मिली कि शिक्षकों के अंकों में मनमर्जी से कटौती या बढ़ोत्तरी की गई। इतना ही नहीं कुछ जिलों में स्कोरशीट में हेराफेरी का आरोप भी लग रहा है।

अधिकारियों के प्रभाव में पुरस्कार का चरित्र बदला

राज्य शिक्षक पुरस्कार केवल सम्मान नहीं है। इसके साथ कई लाभ भी जुड़े होते हैं। इनमें ₹25,000 की पुरस्कार राशि, सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष तक बढ़ाया जाना, उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों में हर वर्ष 4,000 किमी तक मुफ्त यात्रा और प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह जैसी वरीयताएं प्राप्त होती हैं। इन लाभों को देखते हुए यह सम्मान शिक्षकों के लिए एक मील का पत्थर माना जाता है, लेकिन जब इसके पीछे प्रभाव और पॉवर का खेल हो, तो सवाल उठना लाजिमी है।

भाजपा वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष कुशीनगर अवधेश प्रताप सिंह ने फोन पर बताया है कि मैंने यूपी कैबिनेट मंत्री से इस संबंध में शिक़ायत दर्ज कराई है। लिखा है कि राज्य अध्यापक पुरुस्कार के संबंध में जनपद स्तर से प्राप्तांक के आधार पर जो नाम प्रस्तावित हैं, उसका मूल्यांकन नियमानुसार नहीं है।
इस मामले में शिक्षा निदेशक शिक्षा प्रताप सिंह बघेल को व्हाटशप से जानकारी दी गई और फोन पर बातचीत की गई लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

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