
पूरनपुर, पीलीभीत। पूरनपुर नगर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में सोमवार को ईद-उल-अजहा का पर्व पूरी धार्मिक आस्था, परंपरा और शांतिपूर्ण माहौल में मनाया गया। सुबह से ही मुस्लिम समुदाय के लोग नए वस्त्र पहनकर, इत्र लगाकर मस्जिदों और ईदगाह की ओर रवाना हुए। ईद-उल-अजहा की नमाज के बाद एक-दूसरे को गले मिलकर मुबारकबाद दी गई और घर लौटकर खुदा की राह में कुर्बानी की रस्म निभाई गई।
ईदगाह में हुआ मुख्य आयोजन, हज़ारों ने की सामूहिक नमाज
मुख्य ईदगाह पर शहर और आसपास के गांवों से भारी संख्या में लोग नमाज अदा करने पहुंचे। यहां हाजी हाफिज सलीम खान ने ईद की नमाज पढ़ाई। नमाज के बाद उन्होंने मुल्क की सलामती, समाज की तरक्की और आपसी भाईचारे के लिए विशेष दुआ कराई। उन्होंने कहा कि यह पर्व त्याग, समर्पण और इंसानियत की भावना को सिखाता है।
शहर की तमाम मस्जिदों में भी हुआ नमाज का आयोजन
पूरनपुर की प्रमुख मस्जिदों में भी नमाज अदा की गई। इरफानिया फैजुल उलूम में कारी इरशाद अहमद, गरीब नवाज मस्जिद में हाफिज नाजिम रजा नूरी, गुलजारे फरीद मस्जिद में हाफिज कमर महबूब, गुलिस्ताने रजा मस्जिद में हाफिज अशफाक ताबिश, शाहजी मस्जिद में हाफिज हसीब, साबरी मस्जिद में हाजी हाफिज जाकिर खान नूरी और मस्जिद सिद्दिक-ए-अकबर में मौलाना जावेद खान बरकाती ने नमाज अदा कराई।

कुर्बानी का पैगाम: खुदा की राह में सब कुछ न्यौछावर करने की प्रेरणा
मौलाना दानिश रज़ा ने खुतबे (उपदेश) में कहा कि ईद-उल-अजहा त्याग और ईमान की परीक्षा का दिन है। यह त्योहार उस ऐतिहासिक घटना की याद दिलाता है जब अल्लाह ने हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की आस्था की परीक्षा ली। उन्होंने अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे हजरत इस्माइल को कुर्बान करने की नीयत की। अल्लाह ने उनकी सच्ची नीयत देखकर इस्माइल को बचा लिया और एक जानवर को कुर्बानी के लिए भेजा।
मौलाना अली जान ने कहा कि यह ईद इंसान को यह सिखाती है कि जब दिल से खुदा को मानते हो तो सबसे बड़ी कुर्बानी भी छोटी लगती है। कुर्बानी सिर्फ जानवर काटने का नाम नहीं, बल्कि अपने अंदर की बुराइयों, घमंड, नफरत और स्वार्थ को त्याग करने का प्रतीक है।

प्रशासन रहा सतर्क, विशेष व्यवस्थाएं रहीं मौजूद
ईदगाह परिसर में नगरपालिका की ओर से विशेष कैंप लगाया गया था जिसमें पीने के पानी, टेंट, पंखों, दवा और सफाई की पूरी व्यवस्था की गई थी। पुलिस-प्रशासन भी पूरी तरह मुस्तैद रहा। सुरक्षा के मद्देनज़र ईदगाह, मस्जिदों और संवेदनशील स्थानों पर पुलिस बल तैनात रहा। पुलिस अधिकारियों ने स्वयं क्षेत्र का भ्रमण किया और शांति व्यवस्था सुनिश्चित की।
गणमान्य लोग भी रहे उपस्थित, दीं बधाइयाँ
इस मौके पर नगर के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने भी शिरकत की। उपजिलाधिकारी अजीत सिंह चौहान, क्षेत्राधिकारी प्रतीक दहिया, कोतवाल सतेन्द्र सिंह, नगरपालिका लेखाकार अमित मिश्रा, पूर्व पालिका अध्यक्ष मुन्ने मियां अंजाना, बिजयपाल विक्की, मोहम्मद शारिक, सभासद मोहम्मद हनीफ, मोहम्मद सदाब खान, सपा छात्र नेता नोमान अली बारसी, तौफीक अहमद कादरी, चांद रजा खां, नाबेद अजहरी, ओमकार गुप्ता, आकिल खां अजीजी, हाजी लाडले और सिकंदर साबरी सहित अन्य गणमान्य नागरिकों ने एक-दूसरे को गले मिलकर ईद की बधाई दी।
शहर में रहा पूर्णतः सौहार्द और स्वच्छता का वातावरण
नगर के अलग-अलग मोहल्लों में कुर्बानी की रस्म पूरी श्रद्धा से अदा की गई। लोगों ने सफाई का विशेष ध्यान रखा। नगरपालिका कर्मचारी भी सुबह से ही सफाई व्यवस्था में लगे रहे। कई जगह युवाओं और सामाजिक संगठनों ने मिलकर मोहल्लों में सफाई का कार्य किया।
ईद-उल-अजहा: सिर्फ एक त्योहार नहीं, त्याग और समर्पण का प्रतीक
ईद-उल-अजहा, जिसे आमतौर पर बकरीद कहा जाता है, इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा पर्व है। यह त्योहार हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की अल्लाह के प्रति वफादारी और उनके बेटे हज़रत इस्माइल अलैहिस्सलाम की आज्ञाकारिता की याद में मनाया जाता है। यह त्योहार हर उस मुसलमान को यह सिखाता है कि खुदा के रास्ते में अपनी प्रियतम चीज़ को भी कुर्बान करने से पीछे न हटें।
इस दिन जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम होते हैं, वे जानवर की कुर्बानी करते हैं और उसका मांस तीन हिस्सों में बांटते हैं — एक हिस्सा खुद के लिए, दूसरा रिश्तेदारों व पड़ोसियों के लिए, और तीसरा गरीबों के लिए। इससे समाज में बराबरी, करुणा और इंसानियत का संदेश जाता है।